Gorakhpur News: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) गोरखपुर के छात्र अब कमला देवी के पार्थिव शरीर की मदद से पढ़ाई कर सकेंगे. बीती शाम एनाटॉमी विभाग के हेड डॉ. विवेक मिश्रा के नेतृत्व में एम्स प्रशासन ने शरीर को स्वीकार किया था. आपको बता दें कि कुछ वर्ष पहले ही कानपुर की कमला देवी मिश्रा के परिजनों ने त्याग की अनुपम मिसाल पेश की थी. साल 2014 में उन्होंने देह दान का संकल्प पत्र भरा था, जिसके तहत अब उनके पार्थिव शरीर को गोरखपुर में नवनिर्मित एम्स में छात्रों की पढ़ाई के लिए भेजा गया है. मिली जानकारी के अनुसार, एम्स गोरखपुर में ऐसा पहली बार हो रहा है जब किसी के पार्थिव शरीर की मदद से छात्र पढ़ाई कर सकेंगे.
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युग दधीचि संस्थान कानपुर ने एम्स गोरखपुर को कमला देवी का पार्थिव शरीर बुधवार को उपलब्ध कराया. इस पर एम्स प्रशासन ने संस्थान और उनके परिवार के प्रति आभार जताया है. इससे पहले कमला देवी की कॉर्निया कानपुर मेडिकल कॉलेज को उपलब्ध कराई गई है. 78 वर्षीय कमला देवी योगेंद्र विहार नई बस्ती कानपुर की निवासी थी, जिन्होंने वर्ष 2014 में देहदान संकल्प पत्र भरा था. उसी दौरान साल 2014 में आठ नवंबर की रात 10 बजे उनका निधन हो गया था.
निधन की जानकारी उनके बेटे नरेश मिश्रा ने दधीचि देहदान संस्थान के देहदान अभियान प्रमुख मनोज सेंगर को फोन करके दी. इस पर मनोज सेंगर ने अपनी पत्नी और संस्थान की महासचिव माधवी सेंगर से परामर्श कर पार्थिव शरीर को एम्स गोरखपुर को दान करने का फैसला लिया. इससे पहले मनोज ने कानपुर मेडिकल कॉलेज की नेत्र विशेषज्ञ डॉ. शालिनी मोहन से संपर्क कर कॉर्निया का दान कराया.
आपको बता दें कि बुधवार शाम 5:30 बजे कमला देवी का शव गोरखपुर पहुंचा. कानपुर से देह को रवाना करते समय कमला के दोनों बेटे सर्वेश कुमार मिश्रा और नरेश कुमार मिश्रा मौजूद थे. एम्स गोरखपुर के एनाटॉमी हेड डॉ. विवेक मिश्रा ने देह को ससम्मान स्वीकार किया. उन्होंने बताया कि दधीचि देहदान समिति से उनको यह पार्थिव शरीर बुधवार शाम को मिला है.
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