नोएडा की ग्रांड आमेक्स सिटी (Grand Omaxe City) में महिला के साथ अभद्रता करने वाले श्रीकांत त्यागी का फॉरच्यूनर जिस एड्रेस पर रजिस्टर्ड है वो फर्जी निकला है. साथ ही उसकी गाड़ी पर विधानसभा सचिवालय का पास भी फर्जी बताया जा रहा है. इस संबंध में यूपी तक ने पड़ताल की और चौंकाने वाली हकीकत सामने आई है. ध्यान देने वाली बात है कि खुद को बीजेपी का बड़ा नेता बताने वाले श्रीकांत को पार्टी पहले ही खारिज कर चुकी है.
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श्रीकांत त्यागी के साथ मिली फॉर्च्यूनर UP 32 HH 0001 मनीष त्यागी के नाम पर है जोकि विभूति खंड के B -13 का रहने वाला है. ये एड्रेस भी फर्जी पाया गया है. यहां कोई त्यागी नाम का व्यक्ति नहीं रहता है. इस एड्रेस पर एक होटल मौजूद है. होटल मैनेजर के मुताबिक, तकरीबन 15 सालों से ये होटल है, जिसके मालिक देवेंद्र दीक्षित हैं. किसी त्यागी नाम के व्यक्ति को वे नहीं जानते हैं. न ही इस फॉर्च्यूनर की जानकारी है.
विधान सभा सचिवालय का पास गाड़ी पर होने को लेकर जब पड़ताल की गई तो सामने आया कि सचिवालय के प्रमुख सचिव हेमंत राव के निर्देशन में पास जारी किया जाता है. हालांकि सचिवालय पास कंप्यूटराइज होता है और डिटेल पूरी लिखी होती है. ये आईएएस और सचिवालय से जुड़े हुए लोगों के लिए होता है. सचिव लेवल पर अधिकारियों और सचिवालय कर्मियों के लिए और मीडिया कर्मियों के लिए पास यहां से निर्गत किए जाते हैं जो कंप्यूटराइज भी होते हैं. श्रीकांत त्यागी का पास यहां से नहीं बनाया गया था जो कि फर्जी है.
ऐसे होती है पास बनवाने की प्रक्रिया
विधानसभा के प्रमुख सचिव प्रदीप दुबे के मुताबिक 2023 का पास अभी तक विधानसभा से जारी नहीं किया गया है. यह 2023 में लिखा हुआ है जो कि पूरी तरीके से फर्जी पास है. पास बनवाने की प्रक्रिया में विधानसभा द्वारा जारी एक फॉर्मेट में डिटेल भरनी पड़ती है. जिसके साथ विधायक का लेटर हेड आधार कार्ड और गाड़ी की आरसी के साथ विधानसभा पटल पर जमा करना होता है. जिसके बाद विधानसभा के मार्शल वेरीफाई करने के बाद उस पर साइन करते हैं और नंबर अलाट करते हुए विधायक एमएलसी या मंत्री गण को पास निर्गत हो जाता है. एक पास पर 2 गाड़ी निर्गत की जा सकती है.पटल कार्यालय पर पूरी प्रक्रिया को जाती है.
ऐसे होती है विधानसभा में एंट्री
विधानसभा सुरक्षा के सीईओ भगत सिंह के मुताबिक, विधानसभा की सुरक्षा विधानसभा सुरक्षा दल करता है, जो विधानसभा के 9 गेट पर तैनात रहता है. इन सभी गेटों पर जो गाड़ी पर पास लगे होते हैं और गाड़ी के नंबर से मैच करवाया जाता है. पास किस साल का है यह भी चेक किया जाता है. हालांकि उसके बाद गाड़ी के अंदर बैठे व्यक्ति का भी सचिवालय पास चेक किया जाता है. जब यह तीनों चीजें मैच हो जाती हैं तब उसको विधानसभा के अंदर जाने दिया जाता है. ऐसे में किसी भी तरीके का सिक्योरिटी लैप्स नहीं हो सकता. विधानसभा की सुरक्षा विधानसभा सुरक्षा अधिकारी कि जिम्मे में होती है. विधानसभा सुरक्षा दल के लोगों का ट्रांसफर विधानसभा से बाहर नहीं होता है जिससे वह मंत्रियों-नेताओं और विधायकों की आसानी से पहचान भी रखते हैं.
एसपी विधानसभा के मुताबिक विधानसभा दल विधानसभा के अंदर रहता है, लेकिन सिविल पुलिस के यह कॉन्स्टेबल बाहर रहते हैं जोकि किसी भी प्रकार की विवाद वाली स्थिति में उनकी मदद करते हैं. ऐसे में यह पुलिस के सिपाही मौजूद रहते हैं हर गेट पर. अगर कोई जबरदस्ती जाने की कोशिश करता है तो उसको रोकने में भी मदद करते हैं. 25 दिन के तौर पर इनकी तैनाती की जाती है फिर बदल दिया जाता है.
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