कहते हैं इतिहास हमेशा तारीखों पर ही लिखा जाता रहा है. उत्तर प्रदेश पुलिस के मुखिया की कुर्सी का भविष्य भी तारीख के साथ बदल गया है. 30 सितंबर की तारीख ने डीजीपी की कुर्सी के लिए हो रही दौड़ में बहुत कुछ बदल दिया है.अब कार्यकारी डीजीपी रेस से बाहर तो जरूर माने जा रहे हैं पर उनकी ताकत कम नहीं आंकी जा सकती. 30 सितंबर के बाद से कैसे बदला है यूपी के डीजीपी की कुर्सी की दौड़ का समीकरण, आइए समझते हैं.
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11 मई को डीजीपी के पद से मुकुल गोयल को अचानक हटाया गया. मुकुल गोयल के हटने के बाद से एक्टिंग डीजीपी के तौर पर डीजी इंटेलिजेंस डीएस चौहान काम देख रहे हैं. सरकार ने डीजीपी की तैनाती के लिए नियम अनुसार सितंबर के पहले सप्ताह में यूपीएससी को अफसरों के नाम भी भेज दिए थे. लेकिन यूपीएससी ने 3 नाम फाइनल करने से पहले, मुकुल गोयल को हटाने की वजह पूछ ली.
सितंबर के तीसरे सप्ताह में यूपीएससी की तरफ से पूछी गई इस जानकारी पर राज्य गृह विभाग ने जवाब भी भेज दिया लेकिन सूत्र बताते हैं कि इस जवाब के साथ राज्य सरकार की तरफ से यूपीएससी को गुजारिश की गई कि वह 30 सितंबर से पहले बैठक कर डीजीपी के लिए तीन नामों का चयन कर पैनल भेज दे. 30 सितंबर से पहले यूपीएससी अगर डीजीपी को लेकर बैठक करती तो उस बैठक में कार्यकारी डीजीपी डीएस चौहान का भी नाम शामिल होता और राज्य सरकार डीएस चौहान को यूपी का डीजीपी बना देती. अब 30 सितंबर की तारीख गुजर चुकी है तो डीजीपी की रेस का समीकरण भी बदल गया है.
अब इस रेस से डीएस चौहान बाहर हो गए हैं क्योंकि उनके पास अब नौकरी के 6 महीने से कम का वक्त बचा है, मार्च 2023 में डीएस चौहान का रिटायरमेंट है. अब जब यूपीएससी की बैठक होगी तो उसमें डीएस चौहान का नाम शामिल नहीं होगा. अगर यूपीएससी सीनियरिटी के लिहाज से मुकुल गोयल का नाम शामिल करती है तो उस पैनल पर मुकुल गोयल के साथ डीजी भर्ती बोर्ड आरके विश्वकर्मा और केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर भारत सरकार में तैनात आईपीएस अनिल अग्रवाल का नाम शामिल होगा.
राज्य सरकार मुकुल गोयल को एक बार डीजीपी बना चुकी है ऐसे में अगर मुकुल गोयल का नाम इस पैनल से बाहर रहता है तो यूपीएससी के पैनल में मई 2023 में रिटायर हो रहे आरके विश्वकर्मा, अप्रैल 2023 में रिटायर हो रहे अनिल अग्रवाल और अप्रैल 2024 में रिटायर हो रहे डीजी जेल आनंद कुमार का नाम शामिल होगा. दोनों ही पैनल में डीजी भर्ती बोर्ड आरके विश्वकर्मा का नाम शामिल होगा. आरके विश्वकर्मा के पास 6 महीने से ज्यादा, मई 2030 तक का वक्त है. उत्तर प्रदेश पुलिस को मॉर्डनाइजेशन के स्वरूप में लाने वाले आरके विश्वकर्मा एक अच्छे अफसर के तौर पर गिने जाते हैं. नियम और तकनीक से व्यवस्था को पारदर्शी बनाने में विश्वास रखने वाले आरके विश्वकर्मा प्रोफेशनलिज्म की वजह से तो प्रबल दावेदार है. मौजूदा वक्त में उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती व प्रोन्नति बोर्ड में डीजी के पद पर आरके विश्वकर्मा तैनात हैं. साल 2024 के चुनाव को देखते हुए पिछड़ी जाति के वोट बैंक के लिहाज से आरके विश्वकर्मा की डीजीपी के तौर पर तैनाती वोट बैंक के लिहाज से भी फायदे का सौदा साबित होगी.
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