लखनऊ में प्रशिक्षु PCS अधिकारियों की कॉन्फ्लिक्ट प्रबंधन पर हुई ट्रेनिंग, बताया गया ये सब

यूपी तक

• 12:15 PM • 19 Sep 2023

Lucknow News: लखनऊ स्थित उत्तर प्रदेश प्रशासन एवं प्रबंधन अकादमी  में प्रशिक्षु पीसीएस अधिकारियों के लिए लोक प्रबंधन और कॉन्फ्लिक्ट प्रबंधन विषय पर प्रशिक्षण शत्र…

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Lucknow News: लखनऊ स्थित उत्तर प्रदेश प्रशासन एवं प्रबंधन अकादमी  में प्रशिक्षु पीसीएस अधिकारियों के लिए लोक प्रबंधन और कॉन्फ्लिक्ट प्रबंधन विषय पर प्रशिक्षण शत्र का आयोजन किया गया. यह सत्र प्रांतीय सिविल सेवा अधिकारियों के 74वें आधारभूत प्रशिक्षण कार्यक्रम का एक हिस्सा था. इस प्रशिक्षण कार्यक्रम को आईआईएम इंदौर के मैनेजर नवीन कृष्ण राय ने सम्बोधित किया, जिसमें 32 प्रशिक्षु पीसीएस अधिकारियों द्वारा प्रतिभाग किया गया.

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इस सत्र में प्रशिक्षु अधिकारियों को विभिन्न प्रकार के मनोविज्ञान, प्रबंधन के सिद्धांतों और मॉडलों के माध्यम से लोक प्रबंधन व कॉन्फ्लिक्ट प्रबंधन के बारे में बताया गया. प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए राय ने टीम के लोगों के बेहतर प्रबंधन के लिए सिचुएशनल लीडरशिप सिद्धांत की मदद से उन्हें सलाह दी कि कोई भी एक लीडरशिप स्टाइल सर्वोत्तम नहीं होती है.

उन्होंने बताया कि एक प्रभावी लीडर सबसे पहले यह विचार करता है कि किसी काम  को एक विशेष परिस्थिति में पूरा करने के लिए किस प्रकार की लीडरशिप स्टाइल व रणनीति सबसे उपयुक्त होगी. इस तरह वह अपनी लीडरशिप स्टाइल को स्थिति के अनुकूल बदल लेता है.

लोगों के निर्णय लेने के बारे में बात करते हुए राय ने बताया कि लोग हमेशा तर्कसंगत व्यवहार नहीं करते हैं और वे पूर्वाग्रह रखते हैं. प्रॉस्पेक्ट सिद्धांत की मदद से प्रतिभागियों को बताया गया कि लोग-लाभ और हानि को अलग-अलग महत्व देते हैं. समान मूल्य के लाभ और हानि होने की स्थिति में, कोई भी व्यक्ति उस लाभ से मिलने वाली खुशी को उसी मूल्य के हानि से होने वाली पीड़ा की तुलना में से कम आंकता है. उसे उस पीड़ा का अहसास ज्यादा होता है.

कॉन्फ्लिक्ट प्रबंधन के बारे में बात करते हुए उन्होंने प्रतिभागियों को नेगोशीएशन की विभिन्न शैलियों, चरणों और रणनीतियों के बारे में बताया. नेगोशीएशन के विभिन्न चरणों के बारे में विस्तार से बात करते हुए उन्होंने प्रतिभागियों को बताया कि किसी भी नेगोशीएशन के लिए तैयारी करते समय व्यक्ति को यह बात सोचनी और समझ लेनी चाहिए कि उस नेगोशीएशन के असफल होने की स्थिति में उनके पास दूसरा सबसे अच्छा विकल्प क्या है और उन्हें अपने उस विकल्प से कमतर किसी भी प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करना चाहिए.

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