वृंदावन में इस्कॉन मंदिर में दर्शन के लिए जाना है? जानिए यहां पहुंचने के सारे तरीके

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03 Aug 2023 (अपडेटेड: 03 Aug 2023, 06:42 AM)

यूपी का मथुरा अपने दर्शनीय मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है. कृष्ण की जन्मस्थली पर आपको इनसे जुड़े ऐसे भव्य मंदिर देखने को मिलेंगे कि आपका…

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यूपी का मथुरा अपने दर्शनीय मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है. कृष्ण की जन्मस्थली पर आपको इनसे जुड़े ऐसे भव्य मंदिर देखने को मिलेंगे कि आपका मन श्रद्धा और भक्ति भाव से भर जाएगा. मथुरा के वृंदावन (Vrindavan News) में एक ऐसी ही दर्शनीय जगह है इस्कॉन मंदिर (Iskcon Temple). वैसे तो इस्कॉन मंदिर नोएडा और दिल्ली समेत देश के तमाम शहरों में है. वृंदावन में साल 1975 में इस्कॉन मंदिर बना था. आज हजारों की संख्या में श्रद्धालु रोजाना मंदिर के दर्शन करते हैं. ऐसे में अगर आप भी इस्कॉन मंदिर जाने की योजना बना रहे हैं, तो यहां दी गई जानकारी आपके काम की हो सकती है. 

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कैसे पहुंचे वृंदावन इस्कॉन मंदिर? 

एयर कनेक्टिविटी (Iskcon Temple Vrindavan By Air)

यूपी के प्रमुख शहरों में शामिल मथुरा रोड, रेल और एयर, तीनों ही रास्तों से वेल कनेक्टेड है. अगर एयर कनेक्टिविटी की बात करें, तो मथुरा का नजदीकी एयरपोर्ट खेरिया एयरपोर्ट (आगरा) है. इस एयरपोर्ट से मथुरा की दूरी 46 किलोमीटर है. इसके अलावा इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट, नई दिल्ली से मथुरा की दूरी 136 किमी है. यानी आप चाहें, तो आसानी से इन एयरपोर्ट्स पर आने के बाद कैब सर्विस लेकर मथुरा पहुंच सकते हैं.

ट्रेन कनेक्टिविटी (Iskcon Temple Vrindavan By Train)

मथुरा की रेल कनेक्टिविटी भी शानदार है. यहां दो स्टेशन हैं. मथुरा जंक्शन Mathura Junction (MTJ) और मथुरा कैंट Mathura Cantt.(MRT). देश के प्रमुख शहरों से यहां के लिए कई सारी ट्रेन चलती हैं. इन ट्रेन की जानकारी आपको IRCTC की आधिकारिक वेबसाइट से मिल जाएगी. 

रोड कनेक्टिविटी (Iskcon Temple Vrindavan By Road)

मथुरा सड़क मार्ग से भी देश के टॉप शहरों से जुड़ा हुआ है. आप अपनी निजी गाड़ी या बस जैसे सार्वजनिक परिवहन के जरिए भी देश के अलग-अलग हिस्सों से मथुरा पहुंच सकते हैं.

मथुरा में जाकर आप बस, ऑटों या किसी भी लोकल ट्रासपोर्ट के माध्यम से वृंदावन पहुंच सकते हैं. वृंदावन जाकर आप किसी से भी यहां के इस्कॉन मंदिर का परिचय पूछ ले, ये मंदिर इतना प्रसिद्ध है कि इसे हर कोई जानता है. यहां हर समय भक्तों की भीड़ लगी रहती है. खास बात ये भी है कि इस मंदिर में जाने के बाद आपको भारतीय तो मिलेगा बल्कि यहां आपको कृष्ण भक्ति के रस में डूबे हुए विदेशी भी मिलेंगे. 

‘वहां मंदिर बने जहां सदियों पहले कृष्ण-बलराम खेला करते थे’

आपको बता दें कि इस्कॉन यानी अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ की स्थापना स्वामी प्रभुपाद ने की थी. माना जाता है कि प्रभुपाद का एक सपना था कि एक भव्य इस्कॉन मंदिर का निर्माण वहां भी करवाया जाए, जहां बाल रूप में भगवान श्रीकृष्ण और उनके भाई बलराम खेला करते थे. 

स्वामी प्रभुपाद का सपना था कि भगवान कृष्ण और उनके भाई बलराम का भी एक मंदिर वहां बनना चाहिए, जहां दोनों खेला करते थे और अपनी गाय चराते थे. बता दें कि स्वामी प्रभुपाद का ये सपना साल 1975 में पूरा हुआ.  इस साल वृंदावन में इस्कॉन मंदिर की स्थापना की गई. इस मंदिर का नाम श्रीकृष्ण बलराम मंदिर रखा गया.

दिव्य है ब्रज भूमि वृंदावन का ये इस्कॉन मंदिर

आपको बता दें कि वृंदावन का इस्कॉन मंदिर इस्कॉन का वैसे तो एक आम मंदिर है, जैसे इस्कॉन के अन्य शहरों में बने मंदिर हैं. मगर ये इतना भव्य और दिव्य है कि यहां आकर भक्त मंत्रमुग्ध हो जाते हैं. यहां हर तरफ श्रीकृष्ण-श्रीकृष्ण के जाप चल रहे होते हैं. यहां हर तरफ भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति का रस बह रहा होता है. भक्त श्रीकृष्ण के जापों पर नाच रहे होते हैं. दरअसल ये मंदिर ब्रज भूमि पर बना हुआ है और माना जाता है कि ये भूमि खुद कृष्णमय है.

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