Agra News: उत्तर प्रदेश के आगरा से हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. यहां 12 साल पहले एक बहन, अपने भाई और परिवार से बिछड़ गई थी, लेकिन अब वह अपने भाई और परिवार से मिल गई है. बता दें कि भाई-बहन की ये मुलाकात गूगल की मदद से संभव हो पाई. ये कहानी जितनी फिल्मी है, उतनी ही दिलचस्प भी है. दरअसल ये पूरा मामला असम की रहने वाली मोनी बेगम से जुड़ा हुआ है. 12 साल पहले मोनी बेगम अपने परिवार से बिछड़ गई थी और वह ट्रेन में बैठकर किसी तरह आगरा पहुंच गईं थी.
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ठीक नहीं थी दिमागी हालत
मोनी बेगम की दिमागी हालत ठीक नहीं थी. कोई अपना भी आसपास नहीं था. लिहाजा पुलिस ने साल 2011 में मोनी बेगम को आगरा के मानसिक स्वास्थ्य संस्थान एवं चिकित्सालय में भर्ती करा दिया. वह सुन और बोल नहीं सकती थी. डॉक्टरों ने उनका इलाज किया तो उनकी हालत में सुधार आने लगा. हालत ठीक होने के बाद उनको अपने घर-परिवार की याद आने लगी.
गूगल की मदद से पता चली ये अहम जानकारी
इसी बीच संस्थान के कर्मचारियों ने मोनी बेगम से उनके घर-परिवार के बारे में बातचीत करनी शुरू की. बातचीत के दौरान उन्हें पता चला कि मोनी बेगम असम की रहने वाली हैं. अब सबसे बड़ा सवाल था कि मोनी बेगम असम में कहां की रहने वाली हैं? इसके बाद गूगल की मदद ली गई. गूगल की मदद से उन्होंने कुछ जगहों के नामों की पहचान की. फिर उन्होंने एक रेलवे स्टेशन नाउजान रेलवे स्टेशन की पहचान की. गूगल की मदद से रेलवे स्टेशन की लोकेशन पहचानी गई.
इसके बाद मानसिक स्वास्थ्य संस्थान कर्मचारियों ने पहले पुलिस से बातचीत की. पुलिस से ग्राम प्रधान के बारे में जानकारी मिली. फिर गांव के प्रधान से बातचीत की हुई. गांव के प्रधान ने इस बात की तस्दीक कर दी कि मोनी बेगम उन्हीं की गांव की रहने वाली हैं.
भाई सीधे आ पहुंचा आगरा
मिली जानकारी के मुताबिक, ग्राम प्रधान ने इस बात की जानकारी मोनी बेगम के घर जाकर दी तो उनका भाई समीर खुशी से झूम उठा. भाई की आंखे खुशी के आंसुओं से भर गईं. बैग उठाकर समीर हुसैन ट्रेन में बैठा और सीधे आगरा आ गया.
12 साल बाद हुई भाई-बहन की मुलाकात
12 साल बाद भाई-बहन सामने आएं तो जज्बात आंसू बनकर आंखों से छलकने लगे. दोनों ने एक-दूसरे का हालचाल लिया. भाई ने परिवार के हाल की जानकारी अपनी बहन को दी. कागजी कार्रवाई के बाद मोनी बेगम अपने भाई के साथ अपने घर असम चली गईं.
मानसिक स्वास्थ्य संस्थान एवं चिकित्सालय की साइकेट्रिस्ट डॉ मीना पाठक ने बताया कि मोनी बेगम को आगरा से विदा करते समय उन्हें ऐसा लग रहा है कि वह अपनी बेटी की विदाई कर रहे हैं. हमें काफी प्रयास के बाद गूगल की मदद से मोनी बेगम के परिवार का पता चल पाया है. इस मौके पर संस्थान की तरफ से मोनी बेगम को उपहार और सिलाई मशीन भी दी गई. जिला मानसिक स्वास्थ्य संस्थान एवं चिकित्सालय में रहने के दौरान मोनी बेगम में सिलाई का काम सीख लिया था. मोनी बेगम को अब सिलाई की अच्छी कारीगरी भी आती है. मोनी बेगम के भाई समीर हुसैन ने कहा कि हमें उम्मीद नहीं थी कि हमारी बहन दोबारा मिल पाएगी, लेकिन बहन से मिलने के बाद बहुत खुशी हो रही है.
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