Saharanpur News: सहारनपुर के जिलाधिकारी दिनेश चंद्र ने X (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट कर बताया है कि जिले के रिमाउंट डिपो में 50 एकड़ जमीन पर नेपियर घास उगाई जाएगी. उन्होंने बताया कि वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के आवास पर भी नेपियर घास की बुवाई की गई है. वहीं, डीएम ने बताया कि किसानों को नेपियर का बीज उपलब्ध कराया जा रहा है और इच्छुक किसान इसके लिए उनसे संपर्क कर सकते हैं. जिलाधिकारी ने बताया कि नेपियर घास का उत्पादन साल भर किया जा सकता है. इससे पूरे साल निराश्रित एवं आश्रित पशुओं को पौष्टिक आहार मिल सकेगा.
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क्या होती है नेपियर घास?
नेपियर घास को सदाबहार हरा चारा कहा जाता है. यह एक बहुवर्षीय चारे की फसल है. नेपियर घास के पौधे गन्ने की तरह लंबाई में बढ़ते हैं. इसे हाथी घास के नाम से भी जाना जाता है. बहुवर्षीय फसल होने के कारण इसकी खेती सर्दी, गर्मी और वर्षा ऋतु में कभी भी की जा सकती है. इसलिए जब अन्य हरा चारा उपलब्ध नहीं होता है, तब नेपियर घास का महत्व बढ़ जाता है.
पशुओं के लिए गर्मी में वरदान है नेपियर घास
आपको बता दें कि इन दिनों प्रदेश में भीषण गर्मी का प्रकोप जारी है. मगर इस बीच पशुओं के लिए नेपियर घास वरदान बनी हुई है. साल भर हरा चारा मिलने से न केवल पशुपालकों को पैसों की बचत हो रही है, वहीं सामान्य हरे चारे की तुलना में कई गुना प्रोटीन व मिनरल से भरपूर इस घास को लगातार खाने से पशुपालकों के मवेशी हीट स्ट्रोक की चपेट में आने से बचे हुए हैं.
किन प्रदेशों में मिलती है नेपियर घास?
आपको बता दें कि नेपियर घास की खेती मुख्य रूप से राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल, असम, उड़ीसा, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, केरल, हरियाणा और मध्यप्रदेश में की जाती है. आपको बता दें कि इस घास की पत्तियां गहरे हरे रंग की और 50-70 सेंटीमीटर लंबी और 2-3 सेंटीमीटर चौड़ी होती हैं.
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