उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में एक प्रधान अध्यापक ने एक सरकारी प्राइमरी विद्यालय को हरे रंग से रंगवा दिया, जिसके बाद स्थानीय लोगों ने इसका विरोध करते हुए स्कूल को मदरसे में बदलने का आरोप लगाया. वहीं, स्थानीय लोगों ने विद्यालय का रंग सफेद किए जाने की भी मांग की है. इस मामले में बेसिक शिक्षा अधिकारी ने कहा है, “प्रधान अध्यापक की गलती से ऐसा हो गया है, विद्यालय का रंग बदलवाया जा रहा है.”
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क्या है मामला?
सरकारी नवीन प्राथमिक विद्यालय को हरे रंग से रंगवाने का यह मामला सरीला तहसील क्षेत्र में भेड़ी डांडा गांव का है. यहां दो साल से विद्यालय की पुताई नहीं कराई गई थी, लेकिन इस साल जब प्रधान अध्यापक ब्रजेश गौतम ने पुताई कराई तो उसे हरे रंग में पुतवा दिया. विद्यालय को हरे रंग में पुता देख स्थानीय लोगों ने विरोध दर्ज कराया और कहा कि ‘स्कूल को स्कूल रहने दिया जाए उसे मदरसा ना बनाया जाए. विद्यालय का कलर सफेद होना चाहिए.’ मामले में गोलू द्विवेदी और छोटू मिश्रा नामक शख्स ने कहा, “इस स्कूल में सभी बिरादरी के बच्चे आते हैं, इसलिए इसको सफेद रंग का होना चाहिए.”
वहीं, इस मामले में बेसिक शिक्षा अधिकारी कल्पना जैसवाल ने कहा, “दो साल से विद्यालय की पुताई नहीं कराई गई थी, प्रधान अध्यापक की गलती से इस साल इसे हरा पुतवा दिया गया. विद्यालय का रंग बदलवाने के लिए कह दिया गया है.”
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