UP News: बांदा के बबेरू तहसील के बांघड़ा गांव में राममिलन अपने परिवार के साथ रहते थे. जैसे-तैसे वह मेहनत करके परिवार का पेट पाल रहे थे. घर में बेटी भी थी, जिसकी शादी होनी थी. बेटी की शादी की चिंता राममिलन को हमेशा रहती थी. ऐसे में उन्होंने खूब मेहनत करके, पाई-पाई जमा करके बेटी की शादी के लिए सामान भी जमा करना शुरू कर दिया था. दहेज में दिए जाने वाला सामान पिछले काफी सालों से पिता इकट्ठा कर रहे थे. मगर अब राममिलन के परिवार के ऊपर मुश्किलों का पहाड़ टूट पड़ा है और एक पल में राममिलन की सारी मेहनत पर पानी फिर गया है. एक पल में राममिलन के वो सारे अरमान जल गए हैं, जो उन्होंने अपनी बेटी की शादी के लिए देखे थे.
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दरअसल राममिलन का परिवार भी बांदा के बांधड़ा गांव में हुए अग्निकांड का शिकार हुआ है. इस अग्निकांड में जिन-जिन के घर आग की चपेट में आकर खाक हो गए हैं, उनमें एक घर राममिलन का भी है. दो दर्जन से भी अधिक घर पूरी तरह से जल चुके हैं. सभी घरों की अपनी-अपनी कहानी है. मगर राममिलन की कहानी जानकार हर कोई सन्न है.
अब कैसे होगी बेटी की शादी?
बता दें कि इस अग्निकांड से करीब 2 दर्जन घरों में कुछ भी नहीं बचा. आग की चपेट में आकर घर और घर में रखा सारा सामान जलकर खाक हो गया. इन परिवारों का सारा जेवर, कपड़े, अनाज, फ्रीज-टीवी समेत सारा सामान जल चुका है. इन जल चुके सामानों में राममिलन का वह सामान भी है, जो उन्होंने अपनी बेटी की शादी के लिए पाई-पाई जोड़कर जमा किया था.
UP Tak से बात करते हुए राममिलन काफी बेबसी से कहते हैं कि, परिवार के 8 लोग इस घर में रहते थे. अब सब खत्म हो गया. बेटी की शादी के लिए लड़का देखना गया था. तभी बेटी का फोन आया कि पापा आग लगी है. जब वापस आकर देखा तो सब कुछ तबाह और खत्म हो चुका था. कुछ नहीं बचा. नगदी, जेवर, अनाज और कपड़े समेत सभी कुछ खाक हो चुका है. बेटी की शादी के लिए काफी समय से सामान जमा कर रहा था और घर में रख रहा था. मगर अब कुछ नहीं बचा है.
सरकारी अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों ने मदद का भरोसा दिलाया
बता दें कि इस अग्निकांड से कई परिवार बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं. फिलहाल अधिकारी नुकसान का पता चला रहे हैं. सरकारी अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों ने हर संभव मदद का भरोसा पीड़ितों को दिलाया है. अधिकारियों का कहना है कि सरकारी की योजनाओं का पूरा का पूरा लाभ भी इन पीड़ितों को दिया जाएगा. अब राममिनल को भी सरकार और जनप्रतिनिधियों का सहारा है. इस गांव के पीड़ित फिलहाल सरकार और अधिकारियों को ही एक उम्मीद की नजर से देख रहे हैं.
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