चित्रकूट: औरंगजेब ने शुरू कराया था गधा मेला, ‘यहां बुलेट बाइक से भी महंगे बिकते हैं खच्चर’

संतोष बंसल

• 03:09 AM • 26 Oct 2022

Chitrakoot News: चित्रकूट में दीपावली के अवसर पर लगने वाले पांच दिवीसीय दीवाली मेले में जहां एक ओर देश के कोने-कोने से लाखों श्रद्धालु मंदाकिनी नदी…

UPTAK
follow google news

Chitrakoot News: चित्रकूट में दीपावली के अवसर पर लगने वाले पांच दिवीसीय दीवाली मेले में जहां एक ओर देश के कोने-कोने से लाखों श्रद्धालु मंदाकिनी नदी में डुबकी लगा दीपदान करते हैं. वहीं, दूसरी ओर इस अवसर पर यहां लगने वाला गधा मेला भी लोगों के लिए कौतूहल का विषय होता है. कई प्रदेशों से हजारों की संख्या में आए विभिन्न नस्लों के गधों की खरीद-फरोख्त के बड़े केंद्र के रूप में विकसित इस गधे मेले में विभिन्न कद काठियों के गधों को देखने के लिए लोगों की भीड़ जुटती है. ऐसा कहा जाता है है कि मंदाकिनी नदी के किनारे लगने वाले इस मेले को मुगल बादशाह औरंगजेब ने शुरू करवाया था.

यह भी पढ़ें...

मंदाकिनी तट पर पिछले पांच सौ सालों से भी अधिक समय से लग रहे इस गधे मेले में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के सैकड़ों व्यापारी हजारों के संख्या में विभिन्न नस्लों के घोड़ों, गधों और खच्चरों की खरीद करने पहुंचते हैं. चित्रकूट में मंदाकिनी नदी के किनारे लगने वाले गधे मेले में इस बार लगभग पंद्रह हजार गधे बिकने आए थे. अनेकों आकर प्रकार के इन गधों की कीमत दस हजार से लेकर दो लाख रुपये तक रही.  

चित्रकूट में लगने वाले इस गधे मेले में अपने दम-खम और भार ढोने की क्षमता रखने वाले खच्चरों की कीमत ‘बुलेट मोटरसाइकिल से भी ज्यादा रही.’ मेले में आए कुच खच्चर तो इतने नखरैल थे की उन्हें काबू करने में उनके मलिकों का पसीना छूट गया. अपने मजबूत जिस्म और ताकत की वजह से श्रद्धालुओं को बद्रीनाथ धाम और माता वैष्णव देवी की कठिन चढ़ाई चढ़ाने में इनका इस्तेमाल किया जाता है.

बता दें कि चित्रकूट में लगने वाला यह गधा मेला जहां गधे का व्यापार करने वालों के लिए मुनाफा कमाने का अवसर लेकर आता है, तो वहीं विभिन्न क्षेत्रों से आए गधों को भी एक दूसरे से मिलने मिलाने का मौका भी देता है. यहां गधे भी आपस में अपनी बिरादरी का दुख दर्द बांटते नजर आते हैं!

    follow whatsapp