जिनमें कौशल होगा वही कुशल होगा. जिसमें हौसला होगा वही सफल होगा. किसी शायर की ये लाइनें आज इन नन्हें बच्चों पर बिल्कुल सटीक बैठती हैं जिन्होंने अपनी छोटी सी उम्र में कुछ बड़ा करने का ख्वाब आंखों में संजोया और अब उस ख्वाब को साकार करने के लिए जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं. इनके संजोए हुए ख्वाब का असर अब दिखने लगा है.
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हम बात कर रहे हैं उतर प्रदेश के कौशांबी जिले के केपीएस कॉलेज में पढ़ने वाले इन बच्चों की जो अपनी आंख में पट्टी बांधकर फर्राटे से किताबें पढ़ते हैं, स्कूटी चलाते हैं और तो और एक दूसरे के मन में क्या चल रहा है इसको भी जान लेते हैं. यह कोई जादू या दैविक शक्ति से नहीं बल्कि मेडिटेशन साइंस की वजह से ऐसा कर रहे हैं. लगभग 70 से 80 बच्चे मेडिटेशन साइंस सीख रहे हैं.
भरवारी केपीएस कॉलेज के होनहार बच्चों ने दिव्य शक्ति का प्रदर्शन कर दिखाया है. आंखों में पट्टी बांधकर उन्होंने किताब को हाथों से स्कैन करके पढ़ा. जेब में रखी हुई चीजों को आंखों में काली रंग की पट्टी बांधकर छात्राओं ने बता दिया कौन सा कलर है. इसी तरह स्कूटी चलाकर भी छात्रा ने दिखाया है. और तो और एक दूसरे के मन मे क्या चल रहा है इसको भी जान लेते हैं. छात्रों के करतब देख जिसे देख लोग हतप्रभ हो गए. इस मौके पर पूर्व विधायक व विद्यालय के चेयरमैन संजय कुमार गुप्ता ने विद्यार्थियों की तारीफ की. इस मौके पर विद्यालय की प्रधानाचार्य सीमा पवार, विजय चौहान सहित तमाम लोग मौजूद रहे.
इसी तरह से तमाम तरह के कार्य दिखाकर बच्चों ने लोगों को दंग कर दिया. यह कोई जादू या दैविक शक्ति से नही बल्कि मेडिटेशन साइंस की वजह से हो रहा है. केपीएस कॉलेज भरवारी के छात्र छात्रों द्वारा यह प्रर्दशन किया जा रहा है. प्रदर्शन एक सप्ताह योग्य शिक्षकों के चलते छात्र दिव्य शक्ति की ओर बढ़ रहे हैं और आंख बंद करने के बाद वह मन से सब कुछ देख कर बता दे रहे हैं. इन छात्राओं को ऋषिकेश के ट्रेनर अनुराग द्वारा ट्रेनिंग दी जा रही हैं. लगभग 70 से 80 छात्र छात्राओं को इसकी ट्रेनिंग दी जा रही है. आगे अन्य छात्राओं को विद्यालय द्वारा ट्रेनिंग दी जाएगी.
अमीषा नाम की छात्रा ने बताया हमारी बॉडी रिलैक्स होनी चाहिए उसके लिए और अपने आप माइंड में इमेज जो होने लगती है और उस इमेज से हम अपनी बात को बताते हैं. दूसरों से दूसरों की बातें हम जान पाते हैं और हमको कुछ जानना रहता है, लर्न करना रहता है तो हम इसको इजली यूज कर सकते हैं. अभी तक तो हम मेडिटेशन की वजह से हम सीख पा रहे हैं. हम लोगों को 10 दिन हो रहे हैं. हम बुक रीड कर लेते हैं. कलर को पहचान लेते हैं. हम एक दूसरे के बात समझ सकते हैं.
ट्रेनर अनुराग ने बताया यह जो चीजें होती हैं इंद्रियों के बाहर की चीजें और इसका टाइम से कोई मतलब नहीं होता है. कुछ बच्चे यहां 10 दिनों में ट्रेंड हो गए. यहीं बच्चे डेढ़ महीना दो महीना लग जाता है. या डिपेंड करता है. कितना इंवॉल्व है. और यह आपके ध्यान पर डिपेंड करता है कि ध्यान एक ऊर्जा है. आप अपनी उर्जा को हाथ के सेंस में लगाएंगे तो वह इंकरुब होगा, आईस पर लगाएंगे तो वह इंकरुब होगा और सारी चीज है जो इंकरुब होगा. या साइंस क्वांटम फिजिक्स है जो भी यहां बोलूंगा मैं एक रिसर्च है और इसमें साइकोलॉजी और क्वांटम फिजिक्स का उपयोग किया जाता है.
ट्रेनर ने बताया कि हमारे यहां योगा में हमारे शास्त्रों में इसका पूरा जिक्र है जोकि साइंस इस पर काम कर रहा है. सब कुछ रिसर्च बेस पर आ रहा है और आजकल जितने भी साइंटिस्ट हैं वह भी ऐसे कोई साइंटिस्ट नहीं होते जो भारत के ग्रंथों का यूज बिना किए रह पाएं. बच्चे इसलिए कर पा रहे हैं ध्यान से कर पा रहे हैं, लेकिन जैसे आईस क्लोज करते हैं, आइस क्लोज कर के यहां कोई जादू नहीं है जैसे आप आइस क्लोज करते हैं. जिससे पूरा ध्यान आपका एक चीज पर हो जाता है.
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