उत्तर प्रदेश के महराजगंज जिले में जिस प्रेमिका के अपहरण के मुकदमे में प्रेमी के घर की कुर्की तक हो गई, वो प्रेमिका इंस्टाग्राम पर रील्स बनाती मिली है. दरअसल, लड़की के परिजनों ने वर्ष 2019 में पनियरा थाने में प्रेमी के खिलाफ नामजद तहरीर देकर अपहरण का मुकदमा दर्ज कराया था. मामला अलग-अलग जाति का होने के कारण गर्म हो गया था. बता दें कि लड़की के नहीं मिलने पर कोर्ट का आदेश आते ही प्रेमी के घर की कुर्की भी कर दी गई और थक-हारकर पुलिस ने चार्जशीट दाखिल कर दी थी.
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आपको बता दें कि अब ‘ऑपरेशन तलाश’ के तहत पुलिस ने लड़की को ढूंढ निकाला है. मिली जानकारी के अनुसार, लड़की की लोकेशन एक शॉर्ट वीडियो के जरिए मिली. इसकी रील बनाकर वह सोशल मीडिया पर पोस्ट करती थी. अब उसके दो बच्चे भी हो चुके हैं. पनियरा क्षेत्र के प्रेमी जोड़े की यह कहानी वर्ष 2019 की है.
पुलिस ने ऐसे की तलाश
‘ऑपरेशन तलाश’ की टीम ने अपहृत किशोरी का पता लगाने के लिए नए सिरे से जांच शुरू की. सादी वर्दी में टीम के उप निरीक्षक गांव गए. पूछताछ में पता चला कि जो लड़की गायब है, वह रील बनाकर सोशल मीडिया पर अपलोड करती रहती है. टीम ने किशोरी के सोशल मीडिया का लिंक लेकर उसे साइबर सेल और सर्विलांस सेल को भेजा. वहां से नंबर निकालकर जांच हुई तो लोकेशन पंजाब में मिली. इसके बाद टीम ने किशोरी और आरोपित युवक से बातचीत की. दोनों ने बताया कि उन्होंने शादी कर ली है. अब उनके दो बच्चे भी हैं. दोनों ने अपना आधार नंबर और फोटोग्राफ भी भेजा.
उन्होंने बताया कि मामला अलग-अलग जाति होने की वजह से वे घर नहीं आए. किसी को अपनी लोकेशन के बारे में भी नहीं बताया.
इस टीम ने की प्रेमी प्रेमिका की तलाश
पुलिस अधीक्षक डॉ. कौस्तुभ के निर्देश पर चलाए जा रहे ‘ऑपरेशन तलाश’ की टीम में उप निरीक्षक मनीष पटेल, उपनिरीक्षक विवेक सिंह, हेड कॉन्स्टेबल राणा प्रताप, कॉन्स्टेबल अजय पाल, महिला कॉन्स्टेबल संज्ञा तिवारी ने मिल कर इस ऑपरेशन को अंजाम दिया. ऑपरेशन तलाश की टीम ने अब तक कुल गुमशुदा 130 लोगों में 38 लोग बरामद कर लिए गए हैं. अभी भी 92 गुमशुदा लोगों का कुछ खास पता नहीं चल सका है, लेकिन सभी की तलाश जारी है.
पुलिस अधीक्षक डॉ. कौस्तुभ ने बताया कि ‘पुलिस द्वारा जिले में एक नया प्रयोग किया गया था. इसमें दस वर्षों से गुमशुदा बच्चे या वयस्क लोगों की खोजबीन के लिए ऑपरेशन तलाश चलाया गया था. इसमें 6 सदस्यीय टीम का गठन किया गया. इस टीम द्वारा एक महीने काम किया गया, जिसमें कुल 38 लोगों की बरामदगी कर ली गई.’
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