Uttar Pradesh News : एक जुलाई 1933 को गाजीपुर में जन्में अब्दुल हमीद ने कालांतर में ऐसा कीर्तिमान स्थापित किया जिसकी मिसाल आज भी दी जाती है. उन्हीं की जन्म जयंती पर संघ प्रमुख मोहन भागवत उनके गांव गाजीपुर पहुंचे, जहां पर वे 'मेरे पापा परमवीर' पुस्तक का विमोचन किया. इस दौरान RSS प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि, 'जानवर और इंसान में फर्क होता है. इंसान दूसरे के लिए जीता है, जानवर अपने लिए.'
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वीर अब्दुल हमीद के गांव पहुंचे मोहन भागवत
बता दें कि 1 जुलाई 1933 को जन्मे परमवीर चक्र विजेता वीर अब्दुल हमीद की 92वीं जयंती पर संघ प्रमुख मोहन भागवत गाजीपुर आए थे. गाजीपुर के जखनियां तहसील के शहीद पार्क पहुंचे संघ प्रमुख ने वीर अब्दुल हमीद और उनकी पत्नी रसूल और बीवी की प्रतिमा पर उन्होंने पुष्पांजलि अर्पित किया. मोहन भागवत ने इस अवसर पर दो पुस्तकों का विमोचन किया जिसमें एक मशहूर फिल्म लेखक रामचंद्रन श्रीनिवासन द्वारा लिखित "मेरे पापा परमवीर" पुस्तक का विमोचन किया और दूसरी कैप्टन मकसूद गाजीपुरी द्वारा लिखित पुस्तक "भारत के मुसलमान" का भी विमोचन किया.मंच से संबोधन करते हुए उन्होंने कहा कि, 'जब मैं यहां आया तो लिखा देखा कि शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मिटने वालों का यही बाकी निशान होगा. वास्तव में जो अपनी मिट्टी पर शहीद होते हैं वे लोग अमर हो जाते हैं, उनका बलिदान महान होता हैं.'
जानवर और इंसान में फर्क...
संघ प्रमुख ने आगे कहा कि, 'जानवर और इंसान में फर्क होता है इंसान दूसरों के लिए जीता है जबकि जानवर अपने लिए जीता है. वीर अब्दुल हमीद देश के लिए जिए और देश के लिए ही कछ की रण में शहीद हो गए, मनुष्य में बलिदान की भावना उसे महान बनाती है. इस अवसर पर मोहन भागवत लगभग एक घंटे से ज्यादा रहे और वीर अब्दुल हमीद के परिजनों से भी मिले.
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