उत्तर प्रदेश में इन दिनों भले ही मंदिर और मस्जिदों में लाउडस्पीकरों के तेज आवाज पर पाबंदी हो, लेकिन प्रयागराज के 70 वर्षीय नसीम अंसारी नामक बुजुर्ग के ‘लाउडस्पीकर’ की कहानी प्रेरक है. आपको बता दें कि नसीम अंसारी पिछले कई सालों से बिछड़े हुए बच्चों को उनके परिजनों तक मिलाने का नेक काम कर रहे हैं. वैसे तो नसीम मियां पूरे साल बच्चों को ढूंढ-ढूंढ कर उनके परिजनों तक पहुंचाते हैं, लेकिन रमजान महीने के दौरान वह इस काम डबल मेहनत के साथ करते हैं.
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आपको बता दें कि नसीम अंसारी प्रयागराज के रोशन बाग इलाके के रहने वाले हैं. मिली जानकारी के अनुसार, वह रोजाना रोशन बाग में बने कंट्रोल रूम के बाहर माइक और साउंड सिस्टम लेकर बैठ जाते हैं. इस दौरान वह ऐसे बच्चों को तलाशकर उनके परिजन को सुपुर्द करते हैं, जो रमजान की खरीददारी के समय अपनों से बिछड़ जाते हैं. साथ ही नसीम मियां अन्य बच्चों को भी तलाशने में मदद करते हैं.
नसीम अंसारी ने यूपी तक को बताया कि वह 25 साल की उम्र से बिछड़े हुए बच्चों को उनके घर पहुंचाने का काम कर रहे हैं. नसीम दिल के मरीज हैं. दिल का मरीज होने के कारण वह खुद रोजा नहीं रख सकते, लेकिन जो नेक काम वह कर रहे हैं, वह किसी रोजेदार से कम नहीं.
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