प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की घोषणा के बाद प्रदर्शनकारी किसानों में खुशी की लहर दौड़ चुकी है. इस बीच कुछ परिवार ऐसे भी हैं, जो किसान आंदोलन के वक्त अपनों को खो चुके हैं. इन्हीं परिवारों में किसान आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले रामपुर के नवरीत सिंह का भी परिवार शामिल हैं.
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मोदी सरकार के फैसले पर नवरीत के पिता विक्रमजीत सिंह का कहना है, ”इतना टाइम बीतने के बाद उन्होंने ये कानून वापस लिए हैं. ऐसा उसी समय कर देते 2020 में. 2020 से लेकर आज तक ना ही कोई मीटिंग हुई ना कोई बातचीत हुई आपस में. कंडीशन तो सेम हैं. दिसंबर 2020 से लेकर अभी तक कोई फर्क तो आया नहीं”
उन्होंने कहा, ”अगर यही चीज उसी समय कर देते तो हमारा घर बर्बाद नहीं होता और जो इतनी शहादत हुई हैं, जो लोग वहां पर शहीद हुए हैं, वे शहीद ना होते. अब तो बस चुनाव को देखते हुए सिर्फ अपने चुनावी फायदे के लिए यह सब किया है.”
विक्रमजीत सिंह ने मांग की, ”जो शहीद हुए हैं, उनको शहीद का दर्जा मिलना चाहिए. मोदी जी को ऐलान करना चाहिए कि ये शहीद हैं. एमएसपी की गारंटी दी जाए. बाकी और भी किसानों की समस्याएं हैं, उन पर भी बात करनी चाहिए उनको.”
वहीं नवरीत की मां परमजीत कौर का कहना है कि कानून तो चले जाएंगे लेकिन उनका बेटा वापस नहीं आएगा. उन्होंने कहा, ”मेरा तो घर बर्बाद हो गया. हां इतना जरूर है कि मुझे गर्व है कि चलो मेरे बेटे ने कुर्बानी दी जनता के लिए, समाज के लिए.”
बता दें कि 19 नवंबर को पीएम मोदी ने कहा, ”आज गुरु नानक देव जी का पवित्र प्रकाश पर्व है. यह समय किसी को भी दोष देने का नहीं है. आज मैं आपको… पूरे देश को… यह बताने आया हूं कि हमने तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का निर्णय लिया है. इस महीने के अंत में शुरू होने जा रहे संसद सत्र में, हम इन तीनों कृषि कानूनों को रिपील (निरस्त) करने की संवैधानिक प्रक्रिया को पूरा कर देंगे.’’
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