लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में 8 लोगों की मौत हो चुकी है. इसमें 4 किसानों की भी मौत हो गई है, जबकि कई किसान गंभीर रूप से घायल हो गए हैं. इस घटना में रामपुर के किसान गुरजीत सिंह कोटिया भी घायल हुए हैं, जिनका इलाज अस्पताल में चल रहा है. घायल किसान गुरजीत सिंह कोटिया पिछले कई महीनों से अपने घर वालों को छोड़कर केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन का हिस्सा बने हुए हैं.
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बता दें कि रामपुर के तहसील बिलासपुर क्षेत्र किसानों का गढ़ माना जाता है. यह इलाका तराई बेल्ट के साथ ही मिनी पंजाब भी कहलाता है. केंद्र सरकार के तीन कृषि कानून पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश आदि के किसानों को मंजूर नहीं हैं, वे केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर तकरीबन 10 महीने से दिल्ली बॉर्डर पर धरना दे रहे हैं.
रामपुर की बिलासपुर तहसील क्षेत्र के सैकड़ों किसानों में से एक गुरजीत सिंह कोटिया हैं, जो पिछले 10 महीनों से किसान आंदोलनों का हिस्सा बने हुए हैं. उन्होंने पूरी तरह से अपना घर-बार छोड़ रखा है. यही नहीं वह लखीमपुर खीरी में आयोजित उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के कार्यक्रम का विरोध करने अपने साथियों के साथ पहुंचे थे, जहां भड़की हिंसा का वह भी शिकार हो गए.
गनीमत रही कि उनके साथ कोई ज्यादा बड़ी अनहोनी नहीं हुई. हालांकि, वह हिंसा में चोटिल हो गए. घायल अवस्था में गुरजीत सिंह कोटिया को अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां पर उनका इलाज चल रहा है. उनकी पत्नी, बेटी और पिता आज भी उनकी सलामती की दुआ ईश्वर से करते नहीं थक रहे हैं. परिवार की खस्ता हालत है. पत्नी और बेटी ही खेती-बाड़ी का काम देखते हैं. बूढ़े पिता भी अधिकतर बीमार रहते हैं, लेकिन इसके बावजूद भी वह किसान आंदोलन का हिस्सा बने रहना चाहते हैं.
किसान आंदोलन में लंबे समय से बन रहने की वजह से गुरजीत सिंह कोटिया की पत्नी हरमनप्रीत कौर के सामने परिवार का भरण-पोषण कर पाना एक चुनौती बन गई है. लखीमपुर हिंसा में उनके पति के ऊपर गाड़ी चढ़ा दी गई, जिससे उनकी टांग टूट गई है. उनके टांग का अस्पताल में ऑपरेशन हुआ है.
इन सभी हालातों से परेशान हरमनप्रीत कौर अपना दु:ख बताती हैं,
सरकार अच्छी होती तो हमें यह दिन देखना नहीं पड़ता. हम सरकार से परेशान हैं. मेरा बेटा प्रबजोथ सिंह और बेटी गगनप्रीत कौर जैसे-तैसे घर चला रहे हैं. वह (पति) घर पर नहीं होते हैं तो पूरा काम मुझे ही करना पड़ता है. बीमार ससुर की भी देखभाल करनी पड़ती है.
हरमनप्रीत कौर
हरमनप्रीत कौर आगे कहती हैं, “पति को अगर में रोकती हूं तो वह कहते हैं कि हम घर बैठ गए तो फिर हम खाएंगे क्या. बाहर तो जाना ही पड़ेगा, किसानों के साथ चलना ही पड़ेगा, आदमी के पीछे आदमी जाता है. वह फिर से किसान आंदोलन पर जाएंगे जब ठीक हो जाएंगे. हम सब उनके साथ हैं.” हरमनप्रीत कौर की मांग है कि सरकार को तीन कृषि कानून वापस ले लेना चाहिए.
घायल किसान गुरजीत सिंह कोटिया की बेटी गगनप्रीत कौर 6 वीं क्लास में पढ़ती हैं. वह कहती हैं, “ठीक होने के बाद पिता को आंदोलन में फिर जाने देंगे, क्योंकि कानून वापस नहीं होंगे तो हमें उन्हें जाने देना ही पड़ेगा. सरकार को ये कृषि कानून वापस ले लेना चाहिए.”
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