Ghaziabad News: हरियाणा से 7 साल पहले लापता हुए अपने बच्चे की तलाश अब खत्म हो गई है. गुमशुदा बच्चे के मां-बाप ने अपनी संतान को यूपी के गाजियाबाद जिले से बरामद कर लिया है. महज कुछ छोटे क्लू और कड़ियों को जोड़कर बच्चे को उसके परिवार से मिलाया गया है. गुमशुदा बच्चे की मां को जब उसका बेटा सौंपा गया तो वह अपने आंसू नहीं रोक सकी. मां-बेटा और परिजन आपस में चिपक कर रोने लगे, जिसने भी इस नजारे को देखा वह भावुक हो गया. खबर में आगे जानिए कैसे गुमशुदा बच्चे के मां-बाप को ढूंढा गया और किस शख्स ने इस करिश्मे को कर दिखाया?
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बिछडे़ बच्चे से मिलकर छलक पड़े मां के आंसू
14 साल का बिछड़ा बच्चा लक्ष्मण 7 साल बाद जब अपने परिवार से मिला तो नजारा देखने लायक था. सभी की आंखें छलक उठीं. जिस समय लक्ष्मण अपने घर से लापता हुआ, उस वक्त उसे यह भी याद नहीं था कि उसका घर कहां है और वह कहां का रहने वाला है. बता दें कि रेवाड़ी के छोटे से गांव का रहने वाला लक्ष्मण घर से स्टेशन नजदीक होने के कारण वहां किसी ट्रेन में खेलते-खेलते चढ़ गया और गाजियाबाद में आकर उतर गया.
गाजियाबाद के भोपुरा के पास तुलसी निकेतन इलाके में इस बच्चे को लावारिस स्थिति में देखा गया. इसके बाद पुलिस ने इसे बाल अनाथालय के संरक्षण में दे दिया. लापता लक्ष्मण 10 वर्ष का होने तक इसी अनाथालय में रहा. इसके बाद इसे दूसरे अनाथालय में भेजा गया.
ऐसे शुरू हुई बच्चे को ढूंढने की कवायद
अनाथालय का काम देख रहे चाइल्ड वेलफेयर अधिकारी चंदन सिंह ने जब बच्चे को देखा तो उन्होंने इसके माता-पिता की तलाश करने के लिए हरियाणा स्टेट पुलिस के ह्यूमन ट्रैफिकिंग में काम करने वाले असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर राजेश सिंह से बातचीत की. इसके बाद राजेश सिंह ने इस बच्चे की डिटेल लेकर इस उसके माता-पिता की खोज शुरू की.
हरियाणा के पंचकुला में स्टेट क्राइम ब्रांच में तैनात एएसआई राजेश सिंह के सामने यह एक ब्लाइंड केस था. दरअसल, गुमशुदा बच्चा अपना और अपने परिवार का नाम बताने के अलावा कोई जगह का नाम नहीं बता पा रहा था. मगर एएसआई राजेश सिंह ने हार नहीं मानी. महज 3 महीने का वक्त लगाकर उन्होंने बच्चों की पहचान मुकम्मल करते हुए उसे उसके परिवार तक पहुंचा दिया.
इन क्लू के आधार पर एएसआई ने ढूंढा बच्चे का परिवार
एएसआई राजेश का कहना है कि बच्चों से मिली जानकारी के आधार पर उन्होंने उसके परिवार की तलाश शुरू की. बच्चे ने बताया था कि उसका परिवार रेलवे लाइन के आसपास रहा करता था और चूहे मारने की दवाइयां बेचा करता था. साथ ही पता चला की बच्चे को बचपन में एक चोट लगने की वजह से उसके हाथ में फ्रैक्चर आया था. महज इन्हीं क्लू की मदद से उन्होंने बच्चों के परिवार को ढूंढा और हरियाणा के रेवाड़ी में रहने वाले बच्चों के परिवार से गुमशुदा बच्चे लक्ष्मण को मिलवा दिया.
राजेश सिंह इस काम को अपना पैशन मानते हैं. वह पूरे जुनून के साथ ऐसे बच्चों की मदद करते हैं जो कि अपने घर से बिछड़ जाते हैं. राजेश सिंह अब तक 760 ऐसे बच्चों को उनके परिवारों से मिल चुके हैं, जो कि अपने घर से किसी न किसी वजह से बिछड़ गए थे.
हरियाणा के पंचकुला में स्टेट क्राइम ब्रांच में तैनात एएसआई राजेश सिंह के सामने यह एक ब्लाइंड केस था. दरअसल, गुमशुदा बच्चा अपना और अपने परिवार का नाम बताने के अलावा कोई जगह का नाम नहीं बता पा रहा था. मगर एएसआई राजेश सिंह ने हार नहीं मानी. महज 3 महीने का वक्त लगाकर उन्होंने बच्चों की पहचान मुकम्मल करते हुए उसे उसके परिवार तक पहुंचा दिया.
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