प्‍यार कभी मरता नहीं: फतेहपुर की ये प्रेम कहानी पढ़ने के बाद भूल जाएंगे सीमा हैदर और अंजू की लव स्टोरी

नितेश श्रीवास्तव

04 Aug 2023 (अपडेटेड: 04 Aug 2023, 12:24 PM)

Fatehpur News: मुमताज की याद में शाहजहां द्वारा बनवाया गया ताजमहल प्रेम की सच्ची निशानी मानी जाती है, और आज भी दुनिया में इसकी मिसाल…

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Fatehpur News: मुमताज की याद में शाहजहां द्वारा बनवाया गया ताजमहल प्रेम की सच्ची निशानी मानी जाती है, और आज भी दुनिया में इसकी मिसाल दी जाती है. ठीक उसी तरह उत्तर प्रदेश के फतेहपुर के एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी की याद में सजीव सी दिखने वाली उनकी प्रतिमा बनवाई है, जो लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच रहा है. बता दें कि 2020 में कोरोना की लहर में रामसेवक रैदास की पत्नी की मौत हो गई थी. रामसेवक ने पत्नी की मौजूदगी का एहसास करने के लिए यह कदम उठाया.

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प्‍यार कभी मरता नहीं

फतेहपुर जिले के बकेवर थाना क्षेत्र के पधारा गांव के रहने वाले रामसेवक रैदास की पत्नी का निधन 18 मई 2020 को कोरोना काल में हो गया था. पत्नी के निधन के बाद से वह गुमसुम रहने लगे थे. पत्नी की याद को संजोए रखने के लिए राम सेवक ने गांव से दो किलोमीटर दूर स्थित खेत में मंदिर का निर्माण करा दिया. आपको बता दें की राम सेवक रैदास अमीन के पद से रिटायर्ड है. रामसेवक के मुताबिक उनकी शादी 18 मई 1977 को हुई थी और पत्नी का जन्म 18 मई 1961 को हुआ था. 18 मई 2020 को कोरोना काल में उन्होंने पत्नी को खो दिया. रामसेवक के 5 बच्चों में 3 लड़के और 2 बेटियां हैं.

पत्नी का बनवाया मंदिर, रोज सुबह-शाम करता है पूजा

रामसेवक का कहना है कि मोहब्बत की निशानी मंदिर में पूजा करने से पत्नी के होने का आभास होता है. इसलिए रोजाना पत्नी के मंदिर में पूजा-पाठ करने पहुंचते हैं. शुरुआत में मंदिर बनाने के फैसले का ग्रामीणों ने मजाक उड़ाया. मंदिर बनाने वाले राम सेवक ने बताया कि पत्नी जब तक जीवित जीवित रहीं तब तक अथाह प्रेम किया. इतना प्रेम करती थीं कि उनका साया उनके साथ बराबर चला करता था. मैं कभी रात विरात आता जाता था तो साया आगे-आगे दिखाई दिया करता था. मेरे जीवन काल में त्याग की मूर्ति बनकर आई और मुझे तिनका तक उठा कर नहीं रखने दिया.

पत्नी की मौत के बाद रामसेवक हो गए थे बैचेन

रामसेवक ने बताया कि जब उनरी पत्नी की मौत कोरोना काल में हो गई तो वह बेचैन हो गए. वो इतना विचलित हो गए कि उनके अंदर पागलपन आ गया कि मैं क्या करूं. उन्होंने बताया कि, ‘मुझे वह रात-दिन दिखाई देने लगी. अचानक मेरे अंदर सोच आई कि आगरा में शाहजहां ने मुमताज के लिए ताजमहल बना कर खड़ा कर दिया. मैं तो एक छोटा सा आदमी हूं, मैं अपनी पत्नी की याद में एक छोटा सा मंदिर बनवाकर उनकी पूजा-अर्चना कर दूंगा. पूरा जीवन उनकी याद में गुजार दूंगा. उन्होंने हमारे साथ जीवन भर कदम-कदम पर साथ दिया है. मैं उनका साथ मरते दम तक साथ दूंगा और मंदिर बनवाकर यहां रहने लगा.’

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