Gyanvapi Vyas Tahkhana Update: ज्ञानवापी परिसर के तहखाने में मौजूद देवी देवताओं की पूजा का अधिकार व्यास पाटीकार को फिर से सौंपने का निर्णय कर वाराणसी के जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश 31 जनवरी को रिटायर हो गए. अयोध्या मामले में ऐतिहासिक निर्णय देने वाले जजों की सूची में अपना नाम दर्ज कराते हुए अपनी न्यायिक सेवा के आखिरी दिन अजय कृष्ण विश्वेश ने ज्ञानवापी पर फैसला दिया. इसके साथ ही विश्वेश उस इतिहास के पन्नों का हिस्सा हो गए, जिसका हवाला आने वाली सदियों तक दिया जाता रहेगा.
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अजय कृष्ण ने ही दिया था ASI सर्वे का आदेश
जिला जज रहते हुए अजय कृष्ण विश्वेश ने ही एएसआई सर्वे का आदेश दिया था. अब ज्ञानवापी परिसर में मौजूद व्यास जी के तहखाने में पूजा पाठ का भी आदेश भी उन्होंने ही दिया. बता दें कि वाराणसी जिला जज की अदालत में 2016 में व्यास परिवार ने यह याचिका दाखिल की थी. इस पर जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की कोर्ट में 30 जनवरी को ही दोनों पक्षों की बहस पूरी हुई थी.
आपको बता दें कि वाराणसी में जिला जज बनने से पहले डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश प्रदेश के कई न्यायिक पदों पर रहे. ज्ञानवापी केस की सुनवाई करने के साथ ही उनका नाम चर्चा में आ गया. जिला जज के तौर पर डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की वाराणसी में तैनाती 21 अगस्त 2021 को हुई थी. ज्ञानवापी मामले पर 31 जनवरी को फैसला सुनाए जाने के बाद न्यायालय के बाहर जहां हिंदू पक्ष के लोग अपने अधिवक्ताओं के साथ जीत का जश्न मना रहे थे वहीं अंदर जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश का विदाई समारोह भी चल रहा था.
अदालत ने अपने आदेश में क्या कहा?
अदालती आदेश में कहा गया, ''जिला मजिस्ट्रेट वाराणसी/रिसीवर को निर्देश दिया जाता है कि वह सेटेलमेंट प्लॉट नं. 9130 थाना-चौक, जिला वाराणसी में स्थित भवन के दक्षिण की तरफ स्थित तहखाने, जो कि वादग्रस्त सम्पत्ति है, वादी तथा काशी विश्वनाथ ट्रस्ट बोर्ड के द्वारा नाम निर्दिष्ट पुजारी से पूजा, राग-भोग, तहखाने में स्थित मूर्तियों का कराये और इस उद्देश्य के लिए सात दिन के भीतर लोहे की बाड़ आदि में उचित प्रबंध करें.'
हिंदू और मुस्लिम पक्ष ने क्या कहा?
हिन्दू पक्ष का कहना था कि नवंबर 1993 तक सोमनाथ व्यास जी का परिवार उस तहखाने में पूजा पाठ करता था, जिसे तत्कालीन मुलायम सिंह यादव सरकार के शासनकाल में बंद करा दिया गया था. अब वहां फिर से हिंदुओं को पूजा का अधिकार मिलना चाहिये. इस पर मुस्लिम पक्ष ने आपत्ति जताते हुए कहा था कि व्यास जी का तहखाना मस्जिद का हिस्सा है लिहाजा उसमें पूजा-पाठ की अनुमति नहीं दी जा सकती.
इस बीच ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वरिष्ठ सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने लखनऊ में संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ''इस फैसले से मायूसी जरूर है लेकिन अभी ऊपरी अदालतों का रास्ता खुला है. जाहिर है कि हमारे वकील इस फैसले को चुनौती देंगे."
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