समझौते के लिए तैयार नहीं...ज्ञानवापी मस्जिद के ASI सर्वे रिपोर्ट पर मुस्लिम समाज ने दी ऐसी प्रतिक्रिया

रोशन जायसवाल

• 03:09 PM • 26 Jan 2024

ज्ञानवापी मस्जिद के हुए एएसआई सर्वे की रिपोर्ट सामने आने के बाद ज्ञानवापी मस्जिद के नजदीक मुस्लिम बाहुल दालमंडी इलाके में जाकर यूपी तक ने मुस्लिम समाज से उनकी प्रतिक्रिया जानने की कोशिश की.

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Varanasi News :  ज्ञानवापी मस्जिद की एएसआई सर्वे रिपोर्ट दोनों पक्षों को सौंप दी गई है. हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने एएसआई का हवाला देते हुए कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद के यहां पर मंदिर था. मस्जिद को औरंगजेब के शासनकाल में बनाने के साक्ष्य मिले हैं. वहीं ASI की रिपोर्ट सामने आने के बाद यूपी तक पहुंचा वाराणसी के मुस्लिम समाज के पास और सर्वे रिपोर्ट पर उनकी प्रतिक्रिया जानने की कोशिश की. 

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कोर्ट के बाहर नहीं करेंगे समझौता

वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद के हुए एएसआई सर्वे की रिपोर्ट सामने आने के बाद ज्ञानवापी मस्जिद के नजदीक मुस्लिम बाहुल दालमंडी इलाके में जाकर यूपी तक ने मुस्लिम समाज से उनकी प्रतिक्रिया जानने की कोशिश की. यूपी तक से बात करते हुए मुस्लिम समाज के लोगों ने बताया कि वह कोर्ट के बाहर किसी तरह का समझौता या सुलह नहीं करेंगे. कोर्ट का जो फैसला आएगा वही मानेंगे. दालमंडी के ही रहने वाले सकील अहमद ने यूपी तक से बात करते हुए कहा कि, 'देखिए तीन महिने तक जांच चली है. मस्जिद कमेटी चाहती थी कि उसे सार्वजनिक ना किया जाए. पर कोर्ट के आदेश के बाद ये रिपोर्ट सबके सामने है. कोर्ट में ये मामला चल रहा है और आगे कोर्ट जो फैसला देगा उसे भी हम मानेंगे, जैसे बाबरी के फैसले को माना था.'

वहीं दालमंडी के ही रहने वाले शकील खान  ने यूपी तक से बात करते हुए कहा कि कोर्ट के बाहर समझौते की बात भी सामने आ रही है. पर हम लोग कोर्ट का ही फैसला मानेंगे. कोई भी पहल हम लोग नहीं कर सकते है. फैसला कानून और अदालत ही करेगी.

मुस्लिम पक्ष ने खारीज किया रिपोर्ट 

वहीं अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के वकील अखलाक अहमद ने बताया कि हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन के सभी दावे गलत है। क्योंकि इस बार के ASI रिपोर्ट में कोई भी ऐसी चीज नहीं मिली है जो पिछले एडवोकेट कमीशन की कार्रवाई में न मिली हो. पिछले कमीशन की कार्रवाई में जो भी चीजे पत्थर या फिगर मिले थे, वे ही अभी मिले है. फर्क यह है कि इस बार ASI ने उसकी नाप जोक करके लिख दिया है. उन्होंने बताया कि हिंदू पक्ष का दावा गलत है. 

बता दें कि ASI ने काशी विश्वनाथ मंदिर से सटी 17वीं सदी की मस्जिद वैज्ञानिक सर्वे किया, ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या इसका निर्माण किसी मंदिर की पहले से मौजूद संरचना के ऊपर किया गया था या नहीं. इस सर्वे की इजाजत अदालत ने दी थी. रिपोर्ट के आधार पर हिंदू पक्ष ने एक बार फिर से दावा किया है कि ज्ञानवापी मस्जिद वहां पहले से मौजूद एक पुराने मंदिर के अवशेषों पर बनाई गई थी.

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