शुक्रवार को पहली बार श्रृंगार गौरी और कई विग्रह का सर्वे बाबा विश्वनाथ धाम और ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में होने जा रहा है. कोर्ट कमिश्नर की ओर से सर्वे और वीडियोग्राफी की कार्यवाही के पहले आज उस विश्वनाथ मंदिर पर सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद कर दी गई है. मंदिर में दर्शन करने के लिए जाने वाले श्रद्धालुओं की सघन चेकिंग और तलाशी हो रही है. मंदिर के चप्पे-चप्पे पर सुरक्षाकर्मी लगे हैं, जबकि मस्जिद की सुरक्षा व्यवस्था पहले से ही है पैरामिलिट्री फोर्स के हवाले है.
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शुक्रवार शाम 3:00 बजे से सूर्यास्त तक का वक्त इस सर्वे के लिए तय किया गया है. अदालत की तरफ से नियुक्त वकील कमिश्नर सर्वे करेंगे और देखेंगे कि मां के श्रृंगार गौरी और दूसरे विग्रह व दूसरे देवताओं की स्थिति क्या है. इस सर्वे में किसी तरह की नाप जोख नहीं होगी, लेकिन मंदिर और विग्रह कहां-कहां हैं, इसका सर्वे होगा.
अंजुमन इंतजामियां मस्जिद जो कि ज्ञानवापी मस्जिद की संस्था है, उसका मानना है कि मस्जिद परिसर के भीतर किसी तरह का सर्वे नहीं होना चाहिए. ना ही वह इसकी इजाजत देंगे. ऐसे में सवाल उठ रहे थे क्या अदालत द्वारा नियुक्त कोर्ट कमिश्नर 6 मई को श्रृंगार गौरी और दूसरे विग्रहों का वीडियोग्राफी कर पाएगा?
गुरुवार को यह तय हो गया कि अब श्रृंगार गौरी और दूसरे विग्रहों देवी देवताओं के स्थान का सर्वे होगा. हालांकि गुरुवार शाम को अजय कुमार मिश्रा जो कि वकील कमिश्नर अदालत की तरफ से नियुक्त किए गए हैं, उन्होंने अपनी सुरक्षा और साथ-साथ सर्वे किए गए सभी सामानों की सुरक्षा की गुहार लगाई थी. इसपर अदालत ने इसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी वाराणसी पुलिस कमिश्नरेट को दी है.
यूपी तक की टीम ने आज दोनों पक्षों से बात की. ज्ञानवापी मस्जिद उनकी संस्था अंजुमन इंतजामिया मस्जिद के वकील ने कहा इस सर्वे में जिस श्रृंगार गौरी मंदिर की बात की जा रही है पहले पूछा जाएगा कि वो मंदिर है कहां! मस्जिद के परिसर में ऐसा कोई मंदिर या कोई विग्रह मौजूद नहीं है.
वहीं दूसरी तरफ मुस्लिम पक्ष का कहना है कि वह किसी सूरत में मस्जिद में वकील कमिश्नर को घुसने नहीं देंगे और अगर कोर्ट की तरफ से नियुक्त वकील कमिश्नर वहां घुसते हैं तो उनके खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे.
दूसरी तरफ हिंदू पक्ष का कहना है कि यह सर्वे भी होगा और जहां-जहां विग्रह और मंदिर के प्रमाण होंगे उसकी रिकॉर्डिंग भी होगी, क्योंकि यही अदालत का फैसला है. हिंदू पक्ष को यकीन है कि तमाम विग्रह की मूर्तियां श्रृंगार गौरी आदि के मंदिर यह मस्जिद परिसर में हैं. जबकि मुस्लिम पक्ष इस बात पर अड़ा है कि मस्जिद के भीतर प्रवेश करने का आदेश अदालत का नहीं है इसलिए उसमें प्रवेश करने की इजाजत नहीं होगी.
आखिर क्या है श्रृंगार गौरी मंदिर का विवाद?
तमाम निगाहें अब शुक्रवार पर टिकी हैं कि सर्वे कहां का होता है, क्योंकि मुस्लिम पक्ष को यकीन है कि मस्जिद के भीतर कोई सर्वे नहीं होगा. हिंदू पक्ष का मानना है कि माता शृंगार गौरी और दूसरे विग्रहों की का स्थान मस्जिद परिसर में ही है, ऐसे में इस सर्वे पर सबकी नजर होगी.
आपको बता दें कि द्वादश ज्योतिर्लिंगों में प्रमुख श्री काशी विश्वनाथ मंदिर और उसी परिक्षेत्र में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद का केस वर्ष 1991 से ही वाराणसी की स्थानीय अदालत में चल रहा है. इसमें हाईकोर्ट के आदेश के बाद मामले की सुनवाई प्रयागराज हाई कोर्ट में चल रही हो. हालांकि मां श्रृंगार गौरी का केस महज साढ़े 7 महीने ही पुराना है. 18 अगस्त 2021 को वाराणसी की पांच महिलाओं ने बतौर वादी वाराणसी के सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में श्रृंगार गौरी मंदिर में रोजाना दर्शन पूजन की मांग सहित अन्य मांगों के साथ एक वाद दर्ज कराया था.
इसको कोर्ट ने स्वीकार करते हुए मौके की स्थिति को जानने के लिए वकीलों का एक कमीशन गठित करने अधिवक्ता कमिश्नर नियुक्त करने और तीन दिन के अंदर पैरवी का आदेश दिया था. इतना ही नहीं विपक्षियों को नोटिस जारी करने के साथ ही सुनवाई की अगली तारीख भी तय कर दी थी. लेकिन दो-दो बार कोर्ट कमिश्नर के बैकफुट पर चले जाने के चलते विवादित स्थल का मौका मुआयना नहीं हो सका था.
वाराणसी के सिविल जज सिनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक के जज रवि कुमार दिवाकर ने अपने पुराने 18 अगस्त के ही आदेश को फिर से दोहराते हुए बीते 8 अप्रैल को कोर्ट कमिश्नर अजय कुमार मिश्रा को नियुक्त करते हुए कमीशन और वीडियोग्राफी की कार्रवाई करने की फिर से अनुमति दे दी थी. इसके बाद प्रतिवादियों में से वाराणसी जिला प्रशासन और कमिश्नरेट पुलिस ने आपत्ति दर्ज कराते हुए कार्रवाई को रोकने के लिए सुरक्षा व्यवस्था और मस्जिद में मुस्लिमों और सुरक्षाकर्मियों के ही जाने की दलील दी थी.
इसपर कोर्ट ने सुनवाई के बाद दलील को खारिज करते हुए अपने पुराने आदेश के जारी रखते हुए ईद के बाद कमीशन और वीडियोग्राफी की कार्रवाई करके 10 मई के पहले तक रिपोर्ट मांगी है और सुनवाई की तारीख भी 10 मई नियत कर दी है.
श्रृंगार गौरी केस से संबंधित महत्वपूर्ण घटनाक्रम
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17 अगस्त 2021 को काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में स्थित श्रृंगार गौरी के मंदिर के अस्तित्व और वहां विराजमान देवी की मूर्ति की पूजा सहित अन्य विग्रहों के भी पूजन की अनुमति के लिए वाराणसी के सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में एक वाद दाखिल कर दिया गया था और कोर्ट ने 18 अगस्त को वाद स्वीकार भी कर लिया.
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वादी के रूप में राखी सिंह, लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास और रेखा के माध्यम से यह वाद दाखिल किया गया.
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कोर्ट ने सभी पांच प्रतिवादियों मुख्य सचिव यूपी, वाराणसी जिला प्रशासन, वाराणसी पुलिस कमिश्नर, अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी और काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट को नोटिस भी भेजा.
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कोर्ट ने श्रृंगार गौरी मंदिर की मौजूदा स्थिति को जानने के लिए कमीशन गठित करते हुए अधिवक्ता कमिश्नर नियुक्त करने और तीन दिन के अंदर पैरवी का आदेश भी दिया.
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केस के जरिये वादियों ने मांग की थी कि मां श्रृंगार गौरी के मंदिर में पूर्व की तरह दर्शन पूजन शुरू हो और गणेश, हनुमान, नंदी जो प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष देवता परिक्षेत्र में विद्यमान हैं, उनकी स्थिति जानने के लिए एक कमीशन बनाया जाए.
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न्यायालय की ओर से दो-दो बार कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किए जाने के बाद भी वह किन्हीं कारणों से नहीं जा सके और कमीशन और वीडियोग्राफी की कार्रवाई नहीं हो सकी.
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8 अप्रैल 2022 को फिर से सिविल जज सिनियर डिवीजन के कोर्ट ने अपने पुराने 18 अगस्त 2021 के आदेश को जारी रखते हुए कमिश्नर के रूप में अजय कुमार मिश्रा को कोर्ट कमिश्नर बनाकर कमीशन और वीडियोग्राफी करने का आदेश दिया और 19 अप्रैल को यह कार्रवाई होनी भी थी.
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लेकिन कार्रवाई के ठीक एक दिन पहले 18 अप्रैल 2022 को ही प्रतिवादी वाराणसी जिला प्रशासन और कमिश्नरेट पुलिस की ओर से सुरक्षा कारणों और मस्जिद में सिर्फ सुरक्षाकर्मी और मुस्लिमों के ही जाने की अनुमति देने की बात बताकर कार्रवाई को रोकने के लिए प्रार्थना की गई.
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19 अप्रैल 2022 को प्रतिवादी वाराणसी पुलिस- जिला प्रशासन, अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी और वादी श्रृंगार गौरी में गर्मागर्म बहस हुई और वाराणसी के सिविल जज सिनियर डिवीजन के जज रवि कुमार दिवाकर की कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रखते हुए अगली तारीख 26 अप्रैल 2022 नियत की.
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कोर्ट ने अपने पुराने आदेशों को जारी रखते हुए एक बार फिर कोर्ट कमिश्नर की ओर से कमीशन और वीडियोग्राफी की कार्रवाई 3 मई ईद के बाद और 10 मई के पहले करके कोर्ट में रिपोर्ट पेश करने को कहा और सुनवाई की अगली तारीख 10 मई नियत कर दी है.
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इस आदेश के बाद वादी श्रृंगार गौरी के खेमे में खुशी की लहर है कि अब मस्जिद में से भी मंदिर के होने के प्रमाण को जुटाया जा सकता है. वहीं अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी के ज्वाइंट सेक्रेटरी सैयद मो. यासीन की मानें तो अभी आदेश का अध्ययन करके तमाम कानूनी पहलुओं पर विचार करके ही आगे कदम बढाया जाएगा.
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