द्वादश ज्योतिर्लिंगों में प्रमुख श्री काशी विश्वनाथ मंदिर और उसी परिक्षेत्र में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद का केस भले ही साल 1992 से चल रहा हो, लेकिन मां श्रृंगार गौरी का केस महज साढ़े 7 महीने ही पुराना है. बता दें कि 18 अगस्त 2021 को वाराणसी की पांच महिलाओं ने बतौर वादी वाराणसी के सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में श्रृंगार गौरी मंदिर में रोजाना दर्शन पूजन की मांग सहित अन्य मांगों के साथ एक वाद दर्ज कराया था. इसको कोर्ट ने स्वीकार कर मौके की स्थिति जानने के लिए वकीलों का एक कमीशन गठित करने, अधिवक्ता कमिश्नर नियुक्त करने और तीन दिन के अंदर पैरवी का आदेश दिया था.
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इतना ही नहीं कोर्ट ने विपक्षियों को नोटिस जारी करने के साथ ही सुनवाई की अगली तारीख भी तय कर दी थी. मगर दो-दो बार कोर्ट कमिश्नर के बैकफुट पर चले जाने के चलते विवादित स्थल का मौका मुआयना नहीं हो सका था. वाराणसी के सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रेक) रवि कुमार दिवाकर ने अपने पुराने 18 अगस्त के ही आदेश को फिर से दोहराते हुए बीती 8 अप्रैल को कोर्ट कमिश्नर अजय कुमार मिश्रा को नियुक्त करते हुए कमीशन और वीडियोग्राफी की कार्रवाई करने की फिर से अनुमति दे दी थी.
इसके बाद प्रतिवादियों में से वाराणसी जिला प्रशासन और कमिश्नरेट पुलिस ने आपत्ति दर्ज कराते हुए कार्रवाई को रोकने के लिए सुरक्षा व्यवस्था और मस्जिद में मुस्लिमों और सुरक्षाकर्मियों के ही जाने की दलील दी थी. इसपर कोर्ट ने सुनवाई के बाद दलील को खारिज करते हुए अपने पुराने आदेश के जारी रखते हुए ईद के बाद कमीशन और वीडियोग्राफी की कार्रवाई करके 10 मई के पहले तक रिपोर्ट मांगी है और सुनवाई की तारीख भी 10 मई नियत कर दी है.
श्रृंगार गौरी केस से संबंधित महत्वपूर्ण घटनाक्रम-
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17 अगस्त 2021 को काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में स्थित श्रृंगार गौरी के मंदिर के अस्तित्व और वहां विराजमान देवी की मूर्ति की पूजा सहित अन्य विग्रहों के भी पूजन की अनुमति के लिए वाराणसी के सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में एक वाद दाखिल कर दिया गया था और कोर्ट ने 18 अगस्त को वाद स्वीकार भी कर लिया.
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वादी के रूप में राखी सिंह, लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास और रेखा के माध्यम से यह वाद दाखिल किया गया.
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कोर्ट ने सभी पांच प्रतिवादियों, मुख्य सचिव यूपी, वाराणसी जिला प्रशासन, वाराणसी पुलिस कमिश्नर, अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी और काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट को नोटिस भी भेजा.
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कोर्ट ने श्रृंगार गौरी मंदिर की मौजूदा स्थिति को जानने के लिए कमीशन गठित करते हुए अधिवक्ता कमिश्नर नियुक्त करने और तीन दिन के अंदर पैरवी का आदेश भी दिया.
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केस के जरिए वादियों ने मांग की थी कि मां श्रृंगार गौरी के मंदिर में पहले की तरह दर्शन पूजन शुरू हो और गणेश, हनुमान, नंदी जो प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष देवता परिक्षेत्र में विघमान हैं, उनकी स्थिति जानने के लिए एक कमीशन बनाया जाए.
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न्यायालय की ओर से दो-दो बार कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किए जाने के बाद भी वह किन्हीं कारणों से नहीं जा सके और कमीशन और वीडियोग्राफी की कार्रवाई नहीं हो सकी.
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8 अप्रैल 2022 को फिर से सिविल जज सीनियर डिवीजन की कोर्ट ने अपने पुराने 18 अगस्त 2021 के आदेश को जारी रखते हुए कमिश्नर के रूप में अजय कुमार मिश्रा को कोर्ट कमिश्नर बनाकर कमीशन और वीडियोग्राफी करने का आदेश दिया और 19 अप्रैल को यह कार्रवाई होनी भी थी.
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मगर कार्रवाई के ठीक एक दिन पहले 18 अप्रैल 2022 को ही प्रतिवादी वाराणसी जिला प्रशासन और कमिश्नरेट पुलिस की ओर से सुरक्षा कारणों और मस्जिद में सिर्फ सुरक्षाकर्मी और मुस्लिमों के ही जाने की अनुमति देने की बात बताकर कार्रवाई को रोकने के लिए प्रार्थना की गई.
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इसपर 19 अप्रैल 2022 को प्रतिवादी वाराणसी पुलिस-जिला प्रशासन, अंजुमन इंतजामिया मसजिद कमेटी और वादी श्रृंगार गौरी में गर्मागर्म बहस हुई और वाराणसी के सिविल जज सीनियर डिवीजन के जज रवि कुमार दिवाकर की कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रखते हुए अगली तारीख 26 अप्रैल 2022 नियत की.
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इसके बाद कोर्ट ने अपने पुराने आदेशों को जारी रखते हुए एक बार फिर कोर्ट कमिश्नर की ओर से कमीशन और वीडियोग्राफी की कार्रवाई 3 मई ईद के बाद और 10 मई के पहले करके कोर्ट में रिपोर्ट पेश करने को कहा और सुनवाई की अगली तारीख 10 मई नियत कर दी.
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इस आदेश के बाद वादी श्रृंगार गौरी के खेमे में खुशी की लहर है कि अब मस्जिद में से भी मंदिर के होने के प्रमाण को जुटाया जा सकता है. वहीं, अंजुमन इंतजामिया मसजिद कमेटी के जॉइंट सेक्रेटरी सैयद मो. यासीन के अनुसार, “अभी आदेश का अध्ययन करके तमाम कानूनी पहलुओं पर विचार करके ही आगे कदम बढ़ाया जाएगा.”
काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी मस्जिद विवाद: HC ने खारिज की अंजुमन इंतेजामिया कमेटी की याचिका
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