देश भर में राष्ट्रीय स्तर के राजनीतिक दलों को साल 2020-21 में बीस हजार या इससे ज्यादा रकम का चंदा 593 करोड़ 75 लाख रुपये मिला है. ये चंदा कुल 3753 दाताओं से मिला है. इसमें बीजेपी (BJP) की हिस्सेदारी अन्य सभी दलों को मिले चंदे से करीब चार गुना ज्यादा है. यानी यहां भी राष्ट्रीय स्तर की अधिकतर विपक्षी पार्टियों की जमानत जब्त हो गई है.
ADVERTISEMENT
बहुजन समाज पार्टी (Bahujan samaj party) इकलौती ऐसी राष्ट्रीय पार्टी रही जिसने बिल्कुल तय समय पर अपने आय-व्यय का ब्योरा निर्वाचन आयोग को जमा कर दिया था. एनसीपी ने तय समय से दस दिन बाद, टीएमसी ने 117 दिन बाद, सीपीएम ने 139 दिन बाद, एनपीईपी ने 137 दिन बाद, कांग्रेस ने 161 दिन बाद अपने आय-व्यय का ब्योरा दाखिल किया. बीजेपी ने लेट लतीफी में भी बाजी मारते हुए 164 दिन की देरी से अपने आय-व्यय का ब्योरा दाखिल किया. वहीं सीपीएम ने तो 178 दिन बाद अपना आय-व्यय का ब्योरा दिया.
नेशनल इलेक्शन वॉच और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने निर्वाचन आयोग को मिले पार्टियों के आय-व्यय के सालाना ब्यौरे के आधार पर रोचक विश्लेषण किया है. विश्लेषण के मुताबिक, बीस हजार रुपये से ज्यादा रकम के चंदे की श्रेणी में बीजेपी को 2206 दाताओं से कुल 545.545 करोड़ रुपये मिले हैं.
इनमें 1111 कॉरपोरेट सेक्टर से 416.794 करोड़ रुपए का चंदा मिला, जबकि 1071 दाताओं ने निजी तौर पर 60.37 करोड़ रुपये चंदा दिया. कांग्रेस को 146 कारपोरेट दाताओं ने 35.89 करोड़ रुपए और 931 निजी दाताओं ने 38.63 करोड़ रुपए चंदा के तौर पर मिले. वहीं बीएसपी को लगातार 15 वें साल में भी किसी ने 20 हजार रुपये से ज्यादा का चंदा नहीं दिया है.
प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट से बीजेपी, एनसीपी और कांग्रेस को कुल 216 करोड़ रुपये मिले. इनमें बीजेपी को सबसे ज्यादा 209 करोड़ रुपये, एनसीपी को पांच करोड़ रुपये और कांग्रेस को दो करोड़ रुपये मिले.
आजमगढ़ में बीएसपी के हारने के बाद मायावती ने कहा- बसपा में ही भाजपा को हराने की जमीनी शक्ति
ADVERTISEMENT