UP News: लोकसभा चुनावों में जबरदस्त प्रदर्शन करने के बाद अब समाजवादी पार्टी के मुखिया और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) केंद्र की राजनीति करते नजर आ सकते हैं. सूत्रों के मुताबिक, अब अखिलेश लखनऊ छोड़ दिल्ली की राजनीति पर ध्यान दे सकते हैं और लखनऊ विधानसभा छोड़ संसद पर ध्यान दे सकते हैं.
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दरअसल लोकसभा चुनावों में जिस तरह से समाजवादी पार्टी ने यूपी में प्रदर्शन किया है, उससे केंद्र की राजनीति में अखिलेश यादव की ताकत में काफी इजाफा किया है. समाजवादी पार्टी को यूपी में 37 सीट मिली हैं. सपा के साथ मिलकर ही कांग्रेस को भी यूपी में 6 सीटों पर सफलता मिली है. अकेले अखिलेश यादव ने ही भाजपा को बहुमत से रोक दिया है. ऐसे में माना जा रहा है कि अब अखिलेश केंद्र की राजनीति में सक्रिय रह सकते हैं.
तो क्या अखिलेश यादव छोड़ देंगे करहल विधानसभा सीट?
सूत्रों की माने तो अखिलेश यादव मैनपुरी लोकसभा की करहल विधानसभा सीट छोड़ सकते हैं. इसी के साथ वह कन्नौज से सांसद रहकर केंद्र की राजनीति में एक्टिव रहने का फैसला कर सकते हैं. ऐसे में अखिलेश यादव की करहल सीट पर तेजप्रताप यादव उपचुनाव लड़ सकते हैं. बता दें कि तेजप्रताप यादव, मैनपुरी लोकसभा सीट से सांसद भी रह चुके हैं.
यूपी विधानसभा में कौन लेगा अखिलेश यादव की जगह?
माना जा रहा है कि अगर अखिलेश यादव केंद्र की राजनीति पर फोकस करते हैं, तो यूपी विधानसभा में उनकी जगह उनके चाचा और सपा के कद्दावर नेता शिवपाल यादव संभाल सकते हैं. शिवपाल यादव अखिलेश की जगह यूपी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद संभाल सकते हैं.
माना जा रहा है कि आखिरी फैसला खुद अखिलेश यादव ही लेगें. मगर शिवपाल की दावेदारी काफी मजबूत मानी जा रही है. दरअसल सपा खेमे में शिवपाल सिंह यादव ही काफी वरिष्ठ नेता हैं और यादव परिवार के अमह सदस्य भी हैं. ऐसे में शिवपाल सिंह यादव के पक्ष में अखिलेश यादव फैसला ले सकते हैं.
भाजपा नीत एनडीए को 36 पर ही रोका
2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में यूपी में शानदार प्रदर्शन करती आ रही भाजपा को इस बार अखिलेश यादव ने जोर का झटका दिया है. यूपी की सभी 80 सीटों को जीतने का सपना देख रही भाजपा को अखिलेश यादव ने 33 सीटों पर ही रोक दिया है. भाजपा नीत एनडीए को यूपी में कुल 36 सीटे ही मिल पाई हैं. अखिलेश यादव की रणनीति के आगे भाजपा की सारी रणनीतियां धरी की धरी रह गई हैं. यहां तक की अयोध्या तक में भाजपा को सपा के सामने हार का सामना करना पड़ा है. ऐसे में अखिलेश यादव की राजनीति ताकत अब पहले के मुकाबले काफी बढ़ गई है.
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