बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) प्रमुख मायावती के प्रधानमंत्री बनने की इच्छा जाहिर करने के कुछ घंटों बाद समाजवादी पार्टी (एसपी) चीफ अखिलेश यादव ने गुरुवार को कहा कि वह भी यही चाहते थे और पिछली बार (2019 आम चुनाव में) इसी लिए उनकी पार्टी के साथ गठबंधन किया था.
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अखिलेश ने कहा कि अगर उनका गठबंधन जारी रहता, तो बीएसपी और डॉ. भीम राव अंबेडकर के अनुयायियों ने देखा होता कि कौन प्रधानमंत्री बनता.
मायावती की प्रधानमंत्री बनने की आकांक्षा के बारे में इफ्तार पार्टी के बाद पत्रकारों द्वारा पूछे जाने पर अखिलेश ने कहा, “मैं इससे (बयान) से खुश हूं. मैं भी यही चाहता था. पिछली बार (2019 के लोकसभा चुनावों में) गठबंधन (बसपा के साथ) इसी के लिए बनाया था.”
उन्होंने कहा, “अगर ‘बहुजन समाज’ के लोगों के साथ गठबंधन जारी रहता है, तो बीएसपी और डॉ. भीम राव अंबेडकर के सिद्धांतों का पालन करने वाले देखते कि देश का प्रधानमंत्री कौन बनता.”
इससे पहले मायावती ने कहा था, ”मैं आने वाले दिनों में सिर्फ उप्र का मुख्यमंत्री और देश का प्रधानमंत्री बनने का सपना देख सकती हूं लेकिन राष्ट्रपति बनने का सपना कभी नहीं देख सकती.”
राज्य में चलाए जा रहे बुल्डोजर के बारे में यादव ने आरोप लगाया कि ‘जाति और धर्म’ को देखते हुए कार्रवाई की जा रही है.
उन्होंने आरोप लगाया, “अगर वे बीजेपी के लोगों के घर और मकान को गिराते हैं, तो वे मुआवजा देंगे. गोरखपुर में 700 मीटर में दुकानों को तोड़ा गया और उसके बाद मुआवजा दिया गया. सुनने में आ रहा हैं कि 100-150 करोड़ रुपये नहीं बल्कि 200 करोड़ मुआवजा उठाया गया.”
उन्होंने कहा, “अगर सरकार मुख्यमंत्री जी को मुआवजा दे सकती हैं तो जो गरीबों को मुआवजा क्यों नहीं मिल सकता?” गौरतलब हैं कि गोरखपुर में सड़क चौड़ीकरण के लिए दुकानों और ढांचों को तोड़ा गया था.
धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर हटाये जाने के बारे में यादव ने कहा, “सरकार को नौकरी देने वालों की सूची भी जारी करनी चाहिए.”
(भाषा के इनपुट्स के साथ)
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