Uttar Pradesh News : वाराणसी में ज्ञानवापी परिसर (Gyanvapi Survey) का सर्वे का काम शुक्रवार यानि 4 अगस्त से शुरु हो गया है. बीते बुधवार को ही इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज करते हुए ज्ञानवापी परिसर के सर्वे की इजाजत दे दी थी. वहीं AIMIM के चीफ असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने शनिवार को ज्ञानवापी मामले पर एएसआई के सर्वे को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी हैं. ज्ञानवापी सर्वे को लेकर ओवैसी ने कहा है कि उन्हें आशंका है कि कहीं दूसरा बाबरी न हो जाए.
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AIMIM के चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने शनिवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि, ‘ASI की रिपोर्ट आने के बाद बीजेपी-आरएसएस नैरेटिव सेट करेंगे, जैसे बाबरी मस्जिद के समय किया गया था. हमें आशंका है कि बाबरी फैसला दोबारा न दोहराया जाए.’
ज्ञानवापी मामले पर ओवैसी ने कही ये बात
उन्होंने आगे कहा कि, ‘सर्वे के बाद मस्जिद का रिलीजियस करेक्टर रहेगा या चेंज होगा? हमारे पास पूजा स्थल अधिनियम है जो कहता है कि पूजा स्थल का चरित्र नहीं बदलना चाहिए. अब इस सर्वे से धार्मिक चरित्र वही रहेगा या बदल जाएगा?’ वहीं ज्ञानवापी मामले में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के बयान पर सवाल खड़ा खरते हुए ओवैसी ने कहा कि, ‘तकलीफ है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कोर्ट का आदेश आने के पहले ही तरफदारी कर रहे हैं.’ ओवैसी ने आगे कहा कि, ‘एक बार जब ज्ञानवापी एएसआई रिपोर्ट सार्वजनिक हो गई है, कौन जानता है कि चीजें कैसे आगे बढ़ेंगी? उम्मीद है कि न तो 23 दिसंबर और न ही 6 दिसंबर दोहराया जाएगा.’
हो रहा ASI सर्वे
आपको बता दें कि शुक्रवार को ASI ने ज्ञानवापी परिसर के चारों और बाहरी हिस्सों की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी. करीब 7 घंटे चले पहले दिन के सर्वे में एएसआई का ज्यादातर वक्त परिसर की आकृति और इमारत की छायाचित्र लेने में लगा. ASI के तरफ से 37 लोगों की टीम थी. जबकि आईआईटी की एक्पर्ट्स को जोड़कर कुल 41 लोगों की टीम थी. गौरतलब है कि वाराणसी की जिला अदालत ने 21 जुलाई को एएसआई को यह निर्धारित करने के लिए सर्वेक्षण का निर्देश दिया था कि क्या मस्जिद पहले से मौजूद मंदिर पर बनाई गई थी.
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