Milkipur By Election : इस समय पूरे देश की नजर हरियाणा और जम्मू कश्मीर में चुनावी नतीजों पर लगी हुई है. नतीजों के आने में अभी एक दिन का वक्त बाकी है पर एग्जिट पोल के आंकड़ों में कांग्रेस की वापसी होती दिख रही है. हरियाणा विधानसभा चुनाव का रिजल्ट उत्तर प्रदेश की राजनीति पर भी प्रभाव डालने वाला साबित हो सकता है. जल्द ही यूपी में 10 सीटों पर विधानसभा उपचुनाव होने हैं, वहीं इस उपचुनाव से पहले सपा और कांग्रेस में सीट बंटवारे को लेकर पेच फंसता दिख रहा है.
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कांग्रेस ने जताई अब ये दावेदारी
बता दें कि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और सांसद अवधेश प्रसाद के सामने मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव में सफलता दोहराने की चुनौती है. अवधेश प्रसाद के सांसद बनने के बाद जिले में समाजवादी पार्टी का एक भी विधायक नहीं है, जिससे उपचुनाव पार्टी के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण बना हुआ है. वहीं उत्तर प्रदेश में होने वाला मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव इंडिया गठबंधन के लिए नई चुनौतियाँ उत्पन्न कर रहा है. हाल ही में कांग्रेसी दावेदारी ने इस उपचुनाव को चर्चा के केंद्र में ला दिया है.
मिल्कीपुर सीट पर फंसा पेच
अब मिल्कीपुर में उपचुनाव के लिए जहाँ सपा ने अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को प्रत्याशी घोषित कर दिया है, वहीं कांग्रेस ने भी इस सीट पर दावेदारी जताई है. कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष आलोक प्रसाद ने कहा है कि, 'पार्टी ने कार्यकर्ताओं की मांगों को ध्यान में रखते हुए हाई कमान तक अपनी बात पहुंचाई है. मिल्कीपुर की सीट बहुत प्रतिष्ठित है, इसलिए कांग्रेस को इसे अपने खाते में लेना चाहिए. कांग्रेस की इस सक्रियता के बीच 16 अक्टूबर को "संविधान बचाओ" सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है, जिसमें कई वरिष्ठ नेता भाग लेंगे.'
आलोक प्रसाद ने यह भी कहा कि, गठबंधन में सीट शेयरिंग पर शीर्ष नेतृत्व निर्णय लेता है और अतीत में भी सिटिंग विधायकों के टिकट काटे जा चुके हैं. उन्होंने महाराजगंज का उदाहरण देते हुए कहा कि पूर्ण विश्वास है कि कांग्रेस मजबूत उपस्थिति दर्ज करेगी और मिल्कीपुर सीट उसे मिलेगी.
नाक की लड़ाई बनी ये सीट
बता दें कि 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा ने फैजाबाद जिसे की पांच में से दो सीटों पर जीत हासिल की थी. मिल्कीपुर से अवधेश प्रसाद और गोसाईंगंज से अभय सिंह निर्वाचित हुए थे. हालांकि, अब जबकि अवधेश प्रसाद सांसद बन चुके हैं, मिल्कीपुर को एक बार फिर सपा अपने खाते में जोड़ना चाहती है. वहीं भारतीय जनता पार्टी चुनाव के लिए अपने उम्मीदवार पर अभी फैसला नहीं कर पाई है, लेकिन टिकट की दौड़ में कई दावेदार शामिल हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मिल्कीपुर का तीन बार दौरा कर चुके हैं, जो उपचुनाव के लिए भाजपा की तैयारी और इसे जीतने की महत्वाकांक्षा को दर्शाता है.
इस उपचुनाव ने इंडिया गठबंधन की समीकरणों को चुनौती दी है और यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या कांग्रेस की दावेदारी वास्तव में गठबंधन को प्रभावित करती है. यह चुनाव भाजपा और इंडिया गठबंधन के बीच प्रतिष्ठा की लड़ाई बन चुका है, जो उत्तर प्रदेश की आगे की राजनीति को तय करेगा.
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