UP Political News: 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है. एक तरफ सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाला NDA है, वहीं दूसरी तरफ इसे चुनौती देने के लिए विपक्षी दलों ने अपना एक समूह बनाया है, जिसका नाम ‘इंडिया’ है. बात अगर यूपी की करें तो यहां समाजवादी पार्टी (सपा), राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) और कांग्रेस जैसे दल इंडिया गठबंधन के बैनर तले NDA को मुकाबला देने की तैयारी कर रहे हैं. यूपी में फिलहाल सस्पेंस बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को लेकर है. दरअसल, बसपा चीफ मायावती अभी किसी भी गठबंधन का हिस्सा नहीं बनी हैं. इस बीच बिजनौर से बसपा के सांसद मलूक नागर के एक बयान से सियासी गलियारों में हलचल मच गई है. खबर में आगे जानिए आखिर मलूक नागर ने ऐसा क्या है?
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मलूक नागर ने कहा, “कांग्रेस मायावती जी से माफी मांगे और उन्हें प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करे, तभी इंडिया गठबंधन 2024 में बीजेपी को रोक सकता है. अगर कांग्रेस को दलित चेहरा चाहिए तो मायावती जी से बेहतर कोई नहीं हो सकता. अगर कांग्रेस हमारी (बसपा) शर्तों पर सहमत होगी तो मायावती जी जरूर सकारात्मक सोच के साथ सोचेंगी.”
नागर ने कहा, “उत्तर प्रदेश में हमारे पास 13.5 प्रतिशत वोट हैं और यह जिस तरफ भी जाएगा, बढ़त रहेगी. अगर मायावती को पीएम चेहरा घोषित किया जाए तो हम 60 से ज्यादा सीटें (यूपी में) जीत सकते हैं.”
अखिलेश को लेकर मलूक नागर ने किया बड़ा दावा
समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव को लेकर बड़ा दावा करते हुए मलूक ने कहा, “मैं आपको बता दूं कि अखिलेश यादव ने कभी भी मायावती के इंडिया गठबंधन में शामिल होने पर आपत्ति नहीं जताई. ऐसी खबरें हैं कि अखिलेश, मायावती से नाखुश हैं, ये पूरी तरह से झूठी हैं. दरअसल, मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में एसपी को सीटें न दिए जाने से अखिलेश यादव कांग्रेस से नाराज थे. मुझे लगता है कि सपा से हमारा कोई मतभेद नहीं है, राजनीति धारणा का खेल है. कांग्रेस को ही समझना होगा और अहंकार छोड़ना होगा.”
गौरतलब है कि 19 दिसंबर को दिल्ली में इंडिया गठबंधन की बैठक हुई थी. इस बैठक से यह खबर निकल कर आई कि अखिलेश ने साफ शब्दों में कह दिया था कि अगर गठबंधन में बसपा को शामिल किया गया तो सपा फिर इससे बाहर हो जाएगी. इसके बाद मायावती ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर खुद साफ कर दिया था कि वह इंडिया गठबंधन में शामिल नहीं होंगी. साथ ही मायावती ने सपा को एक नसीहत भी दी थी.
मायवती ने कहा था, “विपक्ष के गठबंधन में बीएसपी समेत जो भी विपक्षी पार्टियां शामिल नहीं हैं, उनके बारे में किसी को भी बेफिजूल कोई भी टीका टिप्पणी करना उचित नहीं है. तथा इससे इनको बचना चाहिए…क्योंकि भविष्य में देश में जनहित में कब किस को किसी की भी जरुरत पड़ जाए, यह कुछ भी कहा नहीं जा सकता है. अर्थात फिर ऐसे लोगों और पार्टियों को काफी शर्मिंदगी उठानी पड़े, यह ठीक नहीं है. इस मामले में समाजवादी पार्टी जीता जागता उदहारण भी है.”
क्या थे मायावती के इस बयान के मायने?
आपको बता दें कि मायावती ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि ‘भविष्य में देश में जनहित में कब किस को किसी की भी जरुरत पड़ जाए, यह कुछ भी कहा नहीं जा सकता है’. बसपा चीफ के इस बयान को लेकर सियासी मामलों के जानकारों का मानना है कि मायावती लोकसभा चुनाव के बाद भी किसी भी गठबंधन का हिस्सा बन सकती हैं. वहीं, कुछ सियासी जानकारों का यह अनुमान है कि बसपा चीफ ने अपने इस बयान से इंडिया गठबंधन की तरफ नरम रुख अपनाया है.
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