ज्ञानवापी: ओवैसी ने फिर सुनाई फव्वारे वाली कहानी, शाहजहां के शालीमार बाग का भी किया जिक्र

यूपी तक

• 07:57 AM • 21 May 2022

वाराणसी स्थित ज्ञानवापी परिसर में वीडियोग्राफी-सर्वे के दौरान वजूखाने में कथित रूप से शिवलिंग मिलने के बाद अलग-अलग प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं. इस मामले…

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वाराणसी स्थित ज्ञानवापी परिसर में वीडियोग्राफी-सर्वे के दौरान वजूखाने में कथित रूप से शिवलिंग मिलने के बाद अलग-अलग प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं. इस मामले में ऑल-इंडिया-मजलिस इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी लगातार खुलकर अपनी राय रख रहे हैं. ओवैसी अपने बयानों में मुस्लिम पक्ष की तरह लगातार दावा कर रहे हैं कि ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में जो आकृति मिली है, वह शिवलिंग नहीं फव्वारा है. इस बीच ओवौसी ने न्यू यॉर्क टाइम्स का एक पुराना आर्टिकल शेयर किया है, जिसमें 2700 साल पुराने फव्वारे की कहानी बताई गई है.

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दरअसल, सोशल मीडिया पर इस बात की बहस छिड़ी हुई है कि जब इस मस्जिद का निर्माण हुआ था, तो उस काल में फव्वारा कैसे चलता था, उसकी तकनीक क्या थी? इसी मुद्दे पर ओवैसी ने ट्वीट कर कहा है,

“संघी जीनियस पूछ रहे हैं कि “बिना बिजली के फव्वारा कैसे था? इसे ग्रेविटी कहते हैं.”

असदुद्दीन ओवैसी

आपको बता दें कि ओवैसी ने अपने ट्वीट के साथ साल 2017 में न्यू यॉर्क टाइम्स में छपा एक आर्टिकल शेयर किया है, जिसमें 2700 साल पुराने फव्वारे की कहानी बताई गई है. इस आर्टिकल में जिस फव्वारे का जिक्र है, उसको लेकर ओवैसी ने कहा, “संभवत: दुनिया का सबसे पुराना कामकाजी फव्वारा 2700 साल पुराना है. प्राचीन रोमन और यूनानियों के पास पहली और छठी शताब्दी ईसा पूर्व के फव्वारे थे.”

ओवैसी ने ट्वीट में आगे कहा, “कम से कम 7वीं शताब्दी के बाद से फव्वारे इस्लामी वास्तुकला की एक अनिवार्य विशेषता है. शाहजहां के शालीमार उद्यान में 410 फव्वारे हैं.”

हिंदू पक्ष कर रहा शिवलिंग का दावा, मुस्लिम पक्ष ने नाकारा

गौरतलब है कि ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी परिसर का वीडियोग्राफी सर्वे कार्य सोमवार को पूरा किया गया था. सर्वे के अंतिम दिन हिन्दू पक्ष ने दावा किया था कि मस्जिद के वजूखाने में एक शिवलिंग मिला है.

वहीं, दूसरी तरफ मुस्लिम पक्ष ने यह कहते हुए इस दावे को गलत बताया था कि मुगल काल की तमाम मस्जिदों में वजूखाने के ताल में पानी भरने के लिए नीचे एक फव्वारा लगाया जाता था और जिस पत्थर को शिवलिंग बताया जा रहा है, वह फव्वारा का ही एक हिस्सा है.

ओवैसी ने ज्ञानवापी मामले पर इससे पहले क्या कहा था?

ओवैसी ने हाल में कहा था कि वह ज्ञानवापी मस्जिद मुद्दे पर बोलना जारी रखेंगे, क्योंकि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से नहीं डरते हैं.

वहीं, ओवैसी ने शिवलिंग मिलने के हिंदू पक्ष के दावे के बीच कहा था, “अब दोबारा कोई मस्जिद नहीं खोएंगे और ज्ञानवापी कयामत तक मस्जिद ही रहेगी.”

इसके अलावा, ओवैसी ने कहा था, “जब मैं 20-21 साल का था तब बाबरी मस्जिद को मुझसे छीन लिया गया. अब हम 19-20 साल के बच्चों की आंखों के सामने दोबारा मस्जिद को नहीं खोएंगे, इंशा अल्लाह.”

अपने बयानों से खबरों में बने रहना चाहते हैं ओवैसी: ब्रजेश पाठक

उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा था कि असदुद्दीन ओवैसी ज्ञानवापी मस्जिद मामले पर बयान देकर ‘खबरों में बने रहना चाहते हैं.’

बहरहाल, पाठक ने ज्ञानवापी मामले पर कोई टिप्पणी नहीं की और कहा कि मामला ‘‘अदालत में है और हम आदेश का पालन करेंगे.’’

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