इमरान मसूद ने बसपा का दामन थामते ही कहा कि उत्तर प्रदेश में दलित-मुस्लिम गठबंधन की इसलिए जरूरत है, क्योंकि मुसलमानों ने अपना सब कुछ अखिलेश के साथ दांव पर लगाकर देख लिया कि वह बीजेपी को हरा नहीं सकते.
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उन्होंने कहा कि जब-जब मुसलमानों ने सपा को मजबूत किया है, तब-तब बीजेपी मजबूत हुई है और जब-जब मुसलमानों ने मायावती को मजबूत किया है, तब-तब बीजेपी कमजोर हुई है.
इमरान मसूद ने कहा,
“मायावती ने उनके ज्वाइन करते ही उन्हें इतना बड़ा तोहफा दिया कि उन्हें पश्चिमी उत्तर प्रदेश का संयोजक बना दिया, दलित और मुस्लिम का नाम तो नहीं लिया लेकिन साफ कहा कि गरीब पिछड़े और मुस्लिम अगर एक साथ आ गए तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बीजेपी को हराया जा सकता है.”
इमरान मसूद
मसूद ने कहा, “हम एक मकसद के साथ समाजवादी पार्टी में आए थे, हमारे वोट का बंटवारा ना हो. हम लोगों ने एकतरफा समाजवादी पार्टी को वोट दिया और समाजवादी पार्टी को वोट देने के बाद उन जगहों पर समाजवादी पार्टी जीत सकी, जहां हम थे, तो हमें समझ में आया कि यह तो हवा का बुलबुला है. जिसे भारतीय जनता पार्टी ने एक साजिश के तहत बनाया और इस साजिश में यह था बहुजन समाज पार्टी को इतना वोट मिला होता तो दो-तिहाई की सरकार उत्तर प्रदेश में होती.”
उन्होंने आगे कहा, “छलावे में हम भी आए थे, अब जब आंख खुली है तो यह तस्वीर दूसरी है. अगर हमें एक विचारधारा के साथ लड़ना है तो हमको एक मजबूत आधार चाहिए. वह आधार बहुजन समाज पार्टी के अलावा किसी में नहीं है. निश्चित तौर पर बसपा के साथ अपना आधार वोट है वही लड़ सकती है, वही विकल्प है.”
मसूद ने कहा कि मुझे जो जिम्मेदारी बहन जी ने दी है, उसे निभा लूंगा.
मसूद ने कहा, “अगर हमें सरकार बनानी है तो हमें दूसरा वोट चाहिए. जितना वोट हम लोगों ने समाजवादी पार्टी को डाला, अगर उतना वोट हम लोग बहुजन समाज पार्टी में डाल दिए होते दो-तिहाई बहुमत के सात बीएसपी सरकार में होती. सपा को एकतरफा वोट दिया सपा. बहुजन समाज पार्टी जब-जब मजबूत हुई है तब-तब भाजपा कमजोर हुई है. समाजवादी पार्टी जब-जब मजबूत हुई है उससे भाजपा मजबूत हुई है, यह तो इतिहास है.”
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