Kanpur News: कानपुर की सीसामऊ सीट से समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक इरफान सोलंकी से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आई है. इलाहाबाद हाईकोर्ट में इरफान सोलंकी, उनके भाई रिजवान सोलंकी और एक अन्य आरोपी की जमानत अर्जी पर सुनवाई पूरी हो चुकी है. जस्टिस राजीव गुप्ता और जस्टिस सुरेंद्र सिंह प्रथम की डिवीजन बेंच ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. इस अहम फैसले की अगले हफ्ते आने की उम्मीद जताई जा रही है. बता दें कि अगर फैसला इरफान सोलंकी के पक्ष में आता है तो उनकी विधानसभा की सदस्यता बहाल हो जाएगी और फिर सीसामऊ में उपचुनाव भी नहीं होगा.
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सोलंकी ने की थी मानत की अपील
गौरतलब है कि इरफान सोलंकी और उनके भाई पर आरोप है कि उन्होंने कानपुर की एक महिला का घर जलाने की साजिश रची थी. इस मामले में एमपी/एमएलए स्पेशल कोर्ट ने उन्हें 7 साल की सजा सुनाई थी. इसके खिलाफ सोलंकी बंधुओं ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील की थी, जिसमें उन्होंने अपनी सजा पर रोक लगाने और जमानत देने की मांग की है. दूसरी ओर, उत्तर प्रदेश सरकार ने हाईकोर्ट से अनुरोध किया है कि इरफान सोलंकी और उनके भाई की सजा को 7 साल से बढ़ाकर उम्रकैद में तब्दील कर दिया जाए. यह मामला सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर प्राथमिकता से सुना गया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट को 10 दिनों के भीतर इस अपील को निपटाने का आदेश दिया था.
सजा पर रोक लगी तो बहाल होगी सदस्यता
अगर हाईकोर्ट से इरफान सोलंकी की सजा पर रोक लगती है, तो इसका सीधा असर उनकी विधानसभा सदस्यता पर पड़ेगा. अगर सजा पर रोक लग जाती है, तो उनकी सीसामऊ सीट पर हो रहे उपचुनाव को भी रद्द कर दिया जाएगा. इससे समाजवादी पार्टी को बड़ी राजनीतिक राहत मिल सकती है और पार्टी के लिए आगामी चुनावों में यह एक महत्वपूर्ण जीत साबित हो सकती है.
राजनीतिक और कानूनी दांव-पेच जारी
इस मामले ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी है. समाजवादी पार्टी ने इसे लेकर सरकार पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया है कि यह मामला राजनीतिक प्रतिशोध से प्रेरित है. वहीं, यूपी सरकार का कहना है कि यह कानूनी प्रक्रिया के तहत उठाया गया कदम है और इसमें किसी प्रकार का राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं है. अब सभी की नजरें हाईकोर्ट के फैसले पर टिकी हैं, जो अगले हफ्ते तक आने की संभावना है.
राजनीतिक प्रभाव और भविष्य की रणनीतिअगर कोर्ट का फैसला इरफान सोलंकी के पक्ष में आता है, तो समाजवादी पार्टी को न केवल कानूनी बल्कि राजनीतिक बढ़त भी मिलेगी. यह फैसला न केवल कानपुर बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश की राजनीति पर भी असर डाल सकता है, खासकर आगामी चुनावों के मद्देनजर.
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