lakhimpur kheri MLA Yogesh Verma News: लखीमपुर खीरी जिले में सदर सीट से भाजपा विधायक योगेश वर्मा और सदर तहसील के एसडीएम अश्वनी सिंह के बीच का एक विवाद सोशल मीडिया पर खूब चर्चा में है. यह विवाद तब उभरा जब एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें विधायक योगेश वर्मा, एसडीएम से कानूनगो लक्ष्मण यादव द्वारा रिश्वत के रूप में लिए गए 5000 रुपये को वापस करने की मांग करते दिखे. आरोप है कि यह राशि आरएसएस के खंड संघचालक और रिटायर्ड शिक्षक विश्वेश्वर दयाल से ली गई थी, जो पिछले छह साल से अपनी जमीन की पैमाइश कराने के लिए अधिकारियों के चक्कर काट रहे थे.
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क्या है पूरा मामला?
नकहा ब्लॉक के खंड संघचालक विश्वेश्वर दयाल ने बताया कि उन्होंने कानूनगो लक्ष्मण यादव को घूस के रूप में 5000 रुपये दिए थे, ताकि उनकी जमीन की मेड़बंदी कराई जा सके. मेड़बंदी हुई, लेकिन कुछ दिनों बाद विपक्षियों के साथ मिलीभगत करके मेड़ फिर से तुड़वा दी गई. जब विश्वेश्वर दयाल ने इसकी शिकायत भाजपा विधायक योगेश वर्मा से की, तो उन्होंने एसडीएम को फोन किया. हालांकि, इस मुद्दे पर ध्यान नहीं दिया गया.
विधायक ने दी ये चेतावनी
आखिरकार, योगेश वर्मा ने खुद इस मामले को हाथ में लिया और विश्वेश्वर दयाल को अपनी स्कूटी पर बिठाकर कलेक्ट्रेट परिसर ले गए. वहां, उन्होंने एसडीएम अश्वनी सिंह से कानूनगो द्वारा ली गई घूस की रकम वापस करने की मांग की. वर्मा ने चेतावनी दी कि अगर भ्रष्टाचार नहीं रुका, तो वह इसके खिलाफ प्रदर्शन करेंगे. इस पूरी घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है.
विधायक ने ये कहा
वायरल वीडियो पर प्रतिक्रिया देते हुए विधायक योगेश वर्मा ने कहा, "विश्वेश्वर दयाल गुरुजी हमारे खंड संघचालक हैं और उनका सम्मान करते हुए मैं उनकी मदद करने के लिए यहां आया हूं. उनकी जमीन की पैमाइश का मामला पिछले छह साल से चल रहा है. कई बार एसडीएम से बात की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि उन्हें अपनी जमीन की पैमाइश कराने के लिए इतनी लंबी प्रतीक्षा करनी पड़ी."
विधायक वर्मा ने आगे कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि किसी भी तहसील स्तर के काम में अड़चन नहीं आनी चाहिए. चाहे वह दाखिल-खारिज का मामला हो या जमीन के किसी अन्य विवाद का, उसे समय पर हल किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर तहसील अधिकारियों ने ईमानदारी से काम किया होता, तो आम जनता और भाजपा संगठन की सोच को भी खुशी होती.
वहीं, प्रशासन की ओर से इस मामले में अभी कोई औपचारिक बयान सामने नहीं आया है, लेकिन यह मामला तहसील और प्रशासनिक भ्रष्टाचार पर गंभीर सवाल खड़े करता है. लखीमपुर खीरी की तहसील प्रशासन में व्याप्त भ्रष्टाचार और अधिकारियों की निष्क्रियता इस घटना से उजागर हो रही है.
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