शनिवार को समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के संरक्षक मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) की पत्नी साधना गुप्ता (Sadhna Gupta) का निधन हो गया. साधना के निधन पर मुलायम सिंह यादव के समधी हरिओम यादव (Hariom Yadav) ने शोक जताया है.
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उन्होंने कहा, “साधना के निधन से हम सब दुखी हैं, पूरा परिवार दुखी है. मैं अपना शोक व्यक्त करता हूं और भगवान से प्रार्थना करता हूं कि उनकी आत्मा को शांति मिले. उन्हें श्री राम अपने चरणों में स्थान दें.”
इस दौरान हरिओम यादव ने यूपी तक से बातचीत में कहा, “मुलायम से हमारा बहुत पुराना रिश्ता है. वो ही हमें राजनीति में लाएं. हमारी भतीजी मृदुला यादव की शादी मुलायम के भतीजे रणवीर सिंह के साथ हुई थी, तब से हमारा रिश्ता मुलायम से बना है.”
उन्होंने मुलायम सिंह यादव और साधना गुप्ता की शादी के बारे में बताते हुए कहा, “साधना जी के परिवार से कुछ अनबन थी, तो कुछ लोगों ने उनके संकट की घड़ी में नेताजी (मुलायम) से मिलाया. नेता जी से मुलाकात हुई और धीरे-धीरे नेताजी के संबंध हो गए. बाद में नेताजी की पत्नी का निधन हो गया. उसके बाद नेताजी ने विधिवत रूप से साधना से शादी कर ली, तब से वह तब से हम सबकी रिश्तेदार थीं. रिश्तेदार के रूप में हम उनको बहुत मानते हैं.”
क्या साधना सैफई परिवार में क्या दखलंदाजी करती थीं? इस सवाल पर हरिओम ने कहा, “साधना जी बहुत संस्कारी महिला थीं. पूरे परिवार को संगठित लेकर चलने वाली महिला थीं. हर सदस्य की उन्होंने मदद की, परिवार में उन्होंने कोई दखलंदाजी नहीं दी. नेताजी सर्वे-सर्वा थे, जो नेताजी चाहते थे वही परिवार में होता था.”
जब हरिओम से पूछा गया कि चर्चा रहती है कि साधना के अखिलेश यादव से अच्छे संबंध नहीं थे, मगर साधना ने डिंपल यादव के लिए प्रचार किया था? तो इस सवाल पर उन्होंने कहा, “डिंपल के पक्ष में चुनाव प्रचार करने के लिए साधना फिरोजाबाद आई थीं और उन्होंने गली-गली, मोहल्ले-मोहल्ले में वोट मांगा था…अगर परिवार एक नहीं होता तो आज अखिलेश यादव और नेताजी, दोनों एयरपोर्ट पर एक साथ नहीं पहुंचे होते.” बता दें कि साधना का पार्थिव शरीर गुरुग्राम के मेदांता से लखनऊ एयरपोर्ट लाया गया, जहां अखिलेश और मुलायम पहुंचे थे.
एक चर्चा यह भी उड़ती है कि साधना काला-जादू-टोने में भी माहिर थीं, इसकी सच्चाई क्या है? इस सवाल के जवाब में हरिओम ने कहा कि यह सब बकवास है. ऐसा कुछ नहीं है वह परिवार के लिए पूरी तरह वफादार थीं और मरते दम तक परिवार-रिश्तेदारों के लिए वफादार थीं.
उन्होंने कहा, “साधना की मौत से नेताजी को बड़ा धक्का लगा है. अगर सबसे ज्यादा कष्ट होगा तो नेताजी को होगा, क्योंकि इस उम्र में पति को पत्नी की बहुत ज्यादा जरूरत रहती है. बहुत सी चीजें होती हैं समय काटने के लिए, वार्तालाप करने के लिए, पत्नी ही एक सहारा होती है. इस दुख की घड़ी में जो नेताजी का दुख हैं, वह किसी से नहीं कहा जा सकता है.”
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