सपा चीफ अखिलेश यादव सोमवार को चेन्नई पहुंचे, जहां वह पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह के आदमकद प्रतिमा के अनावरण में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए. उन्हें बतौर मुख्य अतिथि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने आमंत्रित किया था.
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यूं तो ऊपर से देखने में यह एक प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा दूसरे प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और सबसे बड़े विपक्ष के नेता का सम्मान दिखाई देता है, लेकिन यह मुलाकात काफी कुछ सियासत अपने भीतर समेटे हुए हैं. एमके स्टालिन ने अखिलेश यादव को तो बुलाया, लेकिन इन दिनों जोर-शोर से आरक्षण की पैरवी भी कर रही कांग्रेस पार्टी को इस कार्यक्रम से दूर रखा, जो कि तमिलनाडु में उनकी सहयोगी पार्टी है.
दरअसल, कांग्रेस को लेकर जो तल्खी समाजवादी पार्टी के भीतर दिखाई दे रही है वैसी कटुता तमिलनाडु में भी कांग्रेस और डीएमके के बीच भी पनप रही है. वीपी सिंह के नाम पर कांग्रेस विरोध का यह गठबंधन आज चेन्नई में दिखाई दिया, तो क्या इंडिया एलायंस के भीतर क्या कोई एंटी कांग्रेस ग्रुप भी बनकर तैयार हो रहा है या फिर एंटी कांग्रेस-एंटी बीजेपी फ्रंट को एक साथ लाने की यह एक अलग शुरुआत है?
इंडिया एलाइंस जिस जोर शोर से बना था और जिस तरीके से तीन-तीन बड़ी बैठकें हो गईं, लेकिन पांच राज्यों के चुनाव ने इस गठबंधन की तस्वीर ही बदल दी. मध्य प्रदेश चुनाव ने सपा और कांग्रेस में एक बड़ी दरार डाल दी है. दिखाने को तो समाजवादी पार्टी इस गठबंधन का हिस्सा है, लेकिन जल्दी ही समाजवादी पार्टी कांग्रेस से इतर अपनी सियासत के पासे फेंकने जा रही है.
चर्चा है कि जल्द ही अखिलेश यादव, ममता बनर्जी से भी मिलने वाले हैं और 3 दिसंबर के बाद बीआरएस प्रमुख के चंद्रशेखर राव से भी अखिलेश यादव की मुलाकात हो सकती है. इससे पहले भी जब राहुल गांधी ने बीआरएस प्रमुख के चंद्रशेखर राव पर हमला बोला था, तब भी अखिलेश यादव बिना कार्यक्रम के हैदराबाद पहुंचे थे, ताकि के. चंद्रशेखर राव के साथ अपनी मजबूती दिखा सके.
दरअसल, इंडिया गठबंधन में रहते हुए एमके स्टालिन अभी तक खामोश थे, लेकिन अब इस गठबंधन में कांग्रेस विरोधी एक खेमा दिखाई देने लगा. अखिलेश यादव ने मध्य प्रदेश चुनाव में टिकट बंटवारे के वक्त ही अपनी नाराजगी कांग्रेस को लेकर साफ कर दी थी.
नीतीश कुमार ने भी गठबंधन की मीटिंग नहीं बढ़ने पर कांग्रेस पार्टी को जिम्मेदार ठहराया था और अब नॉन-कांग्रेस, नॉन बीजेपी पार्टियों के नेता भी अलग से मिलने लगे. यह संकेत है कि इंडिया गठबंधन के भीतर एक बड़ा प्रेशर ग्रुप बन रहा है, जो क्षेत्रीय दलों का गठबंधन होगा. अगर कांग्रेस इन पांच राज्यों के चुनाव में अच्छा नहीं कर पाती तो फिर क्षेत्रीय दलों का गठबंधन कांग्रेस पर भारी पड़ेगा.
दरअसल, वीपी सिंह की आदमकद प्रतिमा का अनावरण तो महज बहाना है. कांग्रेस पार्टी ही असली निशाना है. अखिलेश यादव के करीबी और प्रवक्ता उदयवीर सिंह कहते हैं कि समाजवादी पार्टी भाजपा विरोधी सभी क्षेत्रीय दलों को एक साथ करने की अपनी मुहिम में जुटी है, ताकि 2024 में बीजेपी को पूरे देश में एक बड़ी चुनौती पेश की जा सके. यह चुनौती हर राज्य में क्षेत्रीय दल ही दे सकते हैं. रही बात कांग्रेस पार्टी की तो हम इंडिया गठबंधन में हैं और जब बात होगी तो हम भी साथ होंगे.
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