इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार में राज्य मंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह के खिलाफ दर्ज एक आपराधिक मुकदमे को वापस लेने की राज्य सरकार की अर्जी शनिवार को मंजूर कर ली.
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अपने आदेश में अदालत ने कहा है कि जब सरकार और पीड़ित दोनों अभियुक्त के खिलाफ मुकदमा नहीं चलाना चाहते, तो विचारण केवल व्यर्थ का व्यायाम और अदालत के समय की बर्बादी भर रह जाएगा. यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने राज्य सरकार की ओर से दाखिल एक ‘रिवीजन’ याचिका को मंजूर करते हुए पारित किया.
सरकार ने रायबरेली की विशेष एमपी/एमएलए (सांसद-विधायक) अदालत द्वारा 14 अक्टूबर 2020 को पारित आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी. विशेष अदालत ने मुकदमा वापस लेने की अर्जी खारिज कर दी थी और कहा था कि सरकार यह नहीं दिखा सकी कि आरोपी के खिलाफ उक्त मुकदमा वापस लेने में किस प्रकार जनहित की पूर्ति हो रही है.
उच्च न्यायालय में सरकार की ओर से दलील दी गई कि लेाक अभियोजक ने विशेष अदालत में मुकदमा वापस लेने की अर्जी में कहा था कि इस मुकदमे में ऐसे सबूत नहीं हैं कि जिनके आधार पर इस मामले को चलाया जाए. यह भी कहा गया था कि मुकदमा राजनीतिक वजहों से दर्ज करवाया गया था और 2007 के विधानसभा चुनाव के दौरान रायबरेली के कद्दावर नेता दिनेश प्रताप सिंह ने थाने में खड़े होकर मयंकेश्वर शरण सिंह के खिलाफ उक्त मुकदमा दर्ज करवाया गया था.
सरकार ने उच्च न्यायालय में कहा कि पीड़ित ने पहले तो मुकदमा वापस लेने की अर्जी का विरेाध किया, लेकिन बाद में कहा कि उसे कोई आपत्ति नहीं है. सभी परिस्थितियों पर गौर करने के बाद उच्च न्यायालय ने सरकार की अर्जी को सही करार दिया.
क्या है मामला?
दरअसल 2007 के विधानसभा चुनाव में मयंकेश्वर शरण सिंह सपा के और दिनेश प्रताप सिंह बसपा के टिकट पर तिलोई विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे थे.
दिनेश के एक समर्थक ने मयंकेश्वर व उनके करीब बीस लोगों के खिलाफ रायबरेली के थाना मोहनगंज में भारतीय दंड संहिता के तहत हत्या के प्रयास, लूट, धमकी एवं गैंगस्टर अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज कराई थी.
पुलिस ने विवेचना के बाद आरोप पत्र प्रेषित कर दिया, जिस पर अदालत ने 13 जुलाई 2009 को संज्ञान लेकर सभी आरोपियों को तलब कर किया. 2019 में राज्य सरकार ने इस मामले को वापस लेने का निर्णय लिया था.
गौरतलब है कि मयंकेश्वर शरण और दिनेश प्रताप सिंह दोनों इस समय भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में हैं. इस साल मार्च में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनने के बाद दोनों को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया. दिनेश प्रताप सिंह स्वतंत्र प्रभार के राज्य मंत्री हैं जबकि मयंकेश्वर शरण सिंह राज्य मंत्री हैं.
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