उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सोमवार को विधान परिषद की दो सीटों के लिए हुए उपचुनाव में जीत हासिल की. बीजेपी के दोनों उम्मीदवारों ने प्रतिद्वंद्वी समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रत्याशियों को हरा दिया. अब इस मुद्दे को लेकर यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) की मुखिया मायावती ने समाजवादी पार्टी पर जमकर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि दलितों और पिछड़ों के प्रति सपा की षड्यंत्रकारी नीति थोड़ी भी नहीं बदली है.
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मायावती ने ट्वीट कर कहा,
“यूपी विधान परिषद की दो सीटों के लिए कल हुए उपचुनाव में, हार निश्चित होने के बावजूद, चुनाव में सपा द्वारा दलित और ओबीसी उम्मीदवार को खड़ा करना, हरवाना तथा ज्यादा संख्या बल होने पर इनकी अनदेखी करना यह साबित करता है कि इन वर्गों के प्रति सपा की षड्यंत्रकारी नीति थोड़ी भी नहीं बदली.”
एक दूसरे ट्वीट में उन्होंने कहा कि सपा और इनकी रही सरकारों के दौरान इनकी ऐसी ही संकीर्ण व घृणित राजनीति से दलितों, अन्य पिछड़ों और अक्लियत समाज के लोगों का काफी अहित होता रहा है. इसीलिए आगे ऐसे नुकसान से बचने के लिए इन वर्गों के लोगों को हमेशा बहुत ही सावधान रहने की सख्त जरूरत है. बीएसपी की यह अपील है.
सात विधायकों ने नहीं किया मतदान
बता दें कि यूपी विधान परिषद उपचुनाव में सपा ने पूर्व एमएलसी रामजतन राजभर और रामकरन निर्मल को मैदान में उतारा था तो वहीं बीजेपी ने मानवेंद्र सिंह और पदमसेन चौधरी को टिकट दिया था.
उत्तर प्रदेश विधानसभा के सूत्रों ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘सोमवार को हुए उपचुनाव में 396 विधायकों ने मतदान किया. जिन सात विधायकों ने मतदान नहीं किया, उनमें जेल में बंद तीन विधायक अब्बास अंसारी (सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी), इरफान सोलंकी (समाजवादी पार्टी) और रमाकांत यादव (समाजवादी पार्टी) शामिल हैं.’’
उन्होंने बताया, ‘‘ इसके अलावा कांग्रेस के दो विधायकों, बहुजन समाज पार्टी के एक विधायक और सपा के एक विधायक (मनोज पारस) ने मतदान नहीं किया.’’
गौरतलब है कि एमएलसी बनवारी लाल का निधन हो जाने से एमएलसी सीट खाली हो गई थी. बनवारी लाल का कार्यकाल 2028 में खत्म होना था. तो वहीं एमएलसी लक्ष्मण प्रसाद आचार्य ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.
बता दें कि लक्ष्मण प्रसाद आचार्य को सिक्किम का राज्यपाल बनाया गया था. ऐसे में एमएलसी की 2 सीटें रिक्त हो गई थी, जिसपर आज मतदान हुआ और दोनों सीटें बीजेपी के खाते में गईं.
दो सीट पर उपचुनाव के लिए अधिसूचना 11 मई को जारी की गई थी और 18 मई को नामांकन पत्र दाखिल करने का आखिरी दिन था.
उत्तर प्रदेश की 403 सदस्यीय विधानसभा में सत्तारूढ़ भाजपा के 255 विधायक हैं, उसकी सहयोगी अपना दल (सोनेलाल) के विधायकों की संख्या 13 है. भाजपा की एक अन्य सहयोगी निषाद पार्टी के छह विधायक हैं.
समाजवादी पार्टी (सपा) के 109 विधायक हैं, जबकि उसकी सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के नौ विधायक हैं. सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के छह विधायक हैं, कांग्रेस और जनसत्ता दल (लोकतांत्रिक) के दो-दो विधायक हैं और विधानसभा में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का एक सदस्य है.
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