Guddu Jamali News: 24 घंटे पहले यूपी में हर ओर समाजवादी पार्टी के विधायकों के पाला बदलने की चर्चा थी कि तभी अखिलेश यादव ने एक बड़ा सियासीधमाका कर दिया. इस सियासी धमाके का नाम है गुड्डू जमाली. बुधवार को अखिलेश यादव ने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के नेता गुड्डू जमाली को सपा में शामिल करा लिया. गुड्डू जमाली को पार्टी में एंट्री कराकर अखिलेश यादव ने कहा है कि इसका असर आजमगढ़ ही नहीं बल्कि पूरे पूर्वांचल में होगा. लोग यह जानना चाह रहे हैं कि आखिर ये गुड्डू जमाली कौन हैं और सपा में इनकी एंट्री से अखिलेश यादव को क्या फायदा होगा?
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कौन हैं गुड्डू जमाली?
शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली पूर्वांचल के एक कद्दावर मुस्लिम नेता हैं. ये यूपी के सबसे अमीर नेताओं में से एक भी हैं. एक सफल कारोबारी के रूप में इनकी पहचान है. रियल एस्टेट से लेकर शिक्षा तक, गुड्डू जमाली का कारोबार बड़े पैमाने पर फैला हुआ है. यूपी विधानसभा चुनाव के लिए दाखिल किए गए हलफनामें में इनकी संपत्ति 118 करोड़ रुपये अधिक की आंकी गई थी. अब गुड्डू जमाली की सियासी ताकत भी समझ लीजिए.
2022 के विधानसभा चुनावों में अखिलेश यादव ने करहल से विधायक बनने के बाद आजमगढ़ लोकसभा सीट खाली कर दी थी. यहां उपचुनाव में अखिलेश यादव ने अपने छोटे भाई धर्मेंद्र यादव को प्रत्याशी बनाया. तब बसपा ने उपचुनाव में गुड्डू जमाली को उतार दिया. गुड्डू जमाली मुस्लिम वोटों में सेंधमारी कर गए और नतीजा ये हुआ कि भाजपा के दिनेश लाल निरहुआ यहां से बाजी मार गए. तब निरहुआ को 3,12,768 वोट मिले. धर्मेंद्र यादव को 3 लाख 4 हजार 89 वोट और गुड्डू जमाली को 2 लाख 66 हजार 201 वोट मिले. बीजेपी ने सिर्फ 8679 वोटों की मार्जिन से धर्मेंद्र यादव को हरा दिया.
गुड्डू जमाली की ये ताकत सपा के लिए तबतक चिंता का विषय थी जबतक वह बसपा के साथ थे. आजमगढ़ जैसी सेफ सीट भी सपा के लिए ट्रिकी बन गई थी. अब अखिलेश ने पहला बड़ा दांव चलते हुए गुड्डू जमाली को ही पार्टी में शामिल करा लिया है, तो आजमगढ़ एक बार फिर उनके लिए सुरक्षित दिशा में जाता नजर आ रहा है.
तो क्या आजमगढ़ से लड़ने का मन बना रहे हैं अखिलेश यादव?
गुड्डू जमाली को अपने साथ लाकर आजमगढ़ में अपनी ताकत बढ़ा रहे अखिलेश यादव को मन में क्या कोई और प्लान है? इसका जवाब भी मिलता नजर आ रहा है. ये सारे संकेत इस ओर इशारा कर रहे हैं कि अखिलेश यादव संभवतः आजमगढ़ से चुनाव लड़ सकते हैं. पिछले दिनों सपा ने 5 उम्मीदवारों की एक लिस्ट जारी की थी, जिसमें शिवपाल यादव को बदायूं से उतारा गया है. पहले यहां से धर्मेंद्र यादव के चुनाव लड़ने की चर्चा था. अखिलेश अबतक 32 कैंडिडेट्स के नाम का ऐलान कर चुके हैं, हालांकि वाराणसी सीट कांग्रेस को मिलने के बाद यह संख्या 31 हो गई है.
चर्चा है कि अखिलेश यादव खुद आजमगढ़ से उतर सकते हैं और धर्मेंद्र यादव को कन्नौज से लड़ाया जा सकता है. फिलहाल धर्मेंद्र यादव को आजमगढ़ और कन्नौज दोनों लोकसभा सीटों का प्रभारी बनाया गया है. वैसे आजमगढ़ से यादव परिवार के ही कैंडिडेट होने के चांस ज्यादा हैं. यही वजह है कि अखिलेश यादव इस सीट के सारे समीकरण दुरुस्त करने में जुट गए हैं. गुड्डू जमाली की सपा में एंट्री को भी इसी बात से जोड़कर देखा जा रहा है.
आजमगढ़ सीट का जाति और धार्मिक गणित क्या है?
आजमगढ़ सीट का कैलकुलेशन अखिलेश यादव और सपा को रास आता है. आजमगढ़ में करीब 19 लाख वोटर्स हैं. सबसे अधिक यादव वोटर्स हैं, जिनकी संख्या करीब साढ़े चार लाख है. इसके बाद मुस्लिम और दलित हैं, जिनकी संख्या करीब 3-3 लाख के आसपास है. बाकी अन्य जातियों के वोट हैं. मायावती यहां दलित और मुस्लिम गठजोड़ की सियासत पर फोकस करती हैं. अब अखिलेश यादव ने कद्दावर मुस्लिम नेता को अपनी ओर कर लिया है. ऐसे में ओबीसी और मुस्लिम वोट मिलकर यहां सपा की मजबूत स्थिति दिखती है. अखिलेश यादव इस बार पीडीए यानी पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक फोकस नीतियों को लेकर दलित वोटों में भी सेंधमारी की कोशिश कर रहे हैं.
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