ताजमहल के अंदर 20 से अधिक कमरों के दरवाजे खोलने के लिए एएसआई को निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर गुरुवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के जस्टिस डीके उपाध्याय और सुभाष विद्यार्थी ने सुनवाई की. आपको बता दें कि ताजमहल विवाद को लेकर लखनऊ बेंच ने सख्ती दिखाते हुए याचिकाकर्ता को नसीहत दी और फटकार भी लगाई. अब मामले में दोपहर 2:15 बजे के बाद फिर सुनवाई होगी.
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आइए आपको बताते हैं कि बेंच और याचिकाकर्ता के बीच सुनवाई के दौरान क्या बातचीत हुई.
‘याचिकाकर्ता ने कोर्ट से कहा कि वहां पहले शिव मंदिर था, जिसे मकबरे का रूप दिया गया’ इस पर जस्टिस डीके उपाध्याय ने याचिकाकर्ता को नसीहत देते हुए कहा, “पहले किसी संस्थान से इस बारे में एमए-पीएचडी कीजिए. तब हमारे पास आइए. अगर कोई संस्थान इसके लिए आपको दाखिला न दे तो भी हमारे पास आइए.”
याचिकाकर्ता ने फिर कहा कि ‘मुझे ताज महल के उन कमरों तक जाना है, कोर्ट कृपया उसकी इजाजत दे’ इस पर भी कोर्ट के तेवर सख्त ही रहे. जस्टिस उपाध्याय ने कहा, “कल को आप कहेंगे कि मुझे जज के चेंबर तक जाना है. PIL व्यवस्था का दुरुपयोग न करें. ताजमहल किसने बनवाया पहले जाकर इसपर रिसर्च कीजिए.”
जस्टिस डीके उपाध्याय ने याचिकाकर्ता से पूछा कि इतिहास क्या आपके मुताबिक पढ़ा जाएगा? आप पहले ये सब पढ़िए कि ‘ताजमहल कब बना, किसने बनवाया, कैसे बनवाया.”
कोर्ट ने ये सारी बातें कहने के बाद कहा कि अभी भोजनावकाश हो रहा है. लंच के बाद हाईकोर्ट में फिर से मामले की सुनवाई होगी. कोर्ट के संकेत से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि आज ही इस मामले का पटाक्षेप हो सकता है.
क्या है मामला?
दरअसल, ताजमहल के 22 बंद कमरों को खुलवाकर उनकी जांच एएसआई से कराने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में याचिका दायर की गई है. याचिका में कहा गया है कि ताजमहल में बंद कमरों में हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं, जिसके लिए एएसआई कमरे खुलवाकर जांच कर रिपोर्ट दे. अयोध्या में बीजेपी के मीडिया प्रभारी ने ये याचिका दायर की है.
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