Dayashankar and Swati Singh News: उत्तर प्रदेश सरकार में परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह और सूबे की पूर्व मंत्री स्वाति सिंह अपने तलाक को लेकर चर्चा में हैं. मगर क्या आपको याद है कि इससे पहले भी स्वाति सिंह और दयाशंकर सिंह चर्चा में थे? दरअसल, 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले दयाशंकर सिंह और स्वाति सिंह के बीच लखनऊ की सरोजनी नगर सीट पर चुनाव लड़ने को लेकर विवाद हुआ था. तब स्वाति सिंह सोशल मीडिया पर एक ऑडियो वायरल हुआ था. इस वायरल ऑडियो में स्वाति सिंह ने सुदर्शन अवस्थी नामक शख्स की बातचीत की थी. ऑडियो में बातचीत के दौरान शख्स ने दयाशंकर पर बदसलूकी और जमीन हड़पने का आरोप लगाया था. वहीं, बातचीत में स्वाति सिंह ने दयाशंकर सिंह पर उनके साथ बुरा व्यवहार करने का आरोप लगाया था.
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तब सुदर्शन अवस्थी ने यूपी तक को बताया था कि जिस सोसाइटी का वो मैनेजमेंट देखते हैं, उसमें एक फ्लैट को दयाशंकर कब्जा करकर हड़पना चाहते थे. इसको लेकर तब सुदर्शन अवस्थी ने स्वाति सिंह से पत्र लिखकर शिकायत की थी. हालांकि, सुदर्शन के अनुसार, शिकायत मिलने के बाद तब स्वाति सिंह ‘बेबस ‘नजर आई थीं.
यूपी तक की सुदर्शन अवस्थी से पूरी बातचीत सुनने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें.
ये है स्वाति और दयाशंकर के बीच तलाक की वजह
दयाशंकर सिंह ने कहा, “मंत्री दयाशंकर सिंह ने कहा, “तलाक एकतरफा है. मैंने कभी तलाक की अर्जी नहीं दी. न मैं इस मामले में अदालत गया, लेकिन अब यह हो गया है तो मैं इस मसले पर अपनी तरफ से आगे नहीं बढूंगा. स्वाति सिंह की बढ़ी हुई राजनीतिक महत्वाकांक्षा इसके पीछे की वजह है.”
ऐसे शुरू हुई थी स्वाति और दयाशंकर सिंह की लव स्टोरी
आपको बता दें कि दयाशंकर सिंह और स्वाति सिंह के बीच रिश्ते की बुनियाद ABVP से पड़ी थी, दोनों उसमें सक्रिय थे. ऐसा कहा जाता कि स्वाति सिंह इलाहाबाद में एमबीए (MBA) की पढ़ाई कर रही थीं और दयाशंकर सिंह लखनऊ विश्वविद्यालय की छात्र राजनीति में अग्रिम पंक्ति के नेता थे. ABVP के कार्यक्रमों में दोनों का मेलजोल बढ़ा. दोनों बलिया के ही रहने वाले थे, इसलिए उनके रिश्ते और प्रगाढ़ हो गए और फिर बाद में दोनों ने विवाह रचा लिया. बाद में स्वाति सिंह ने लखनऊ विश्वविद्यालय में पीएचडी में पंजीकरण कराया. साथ ही यहीं पर पढ़ाने भी लगीं. इसके बाद दोनों के बाच कई बार मनमुटाव की खबरें सामने आईं, लेकिन सब चाहते रहे कि यह रिश्ता सलामत रहे.
स्वाति सिंह का भाजपा महिला मोर्चा की अध्यक्ष से लेकर मंत्री बनने तक का सफर
यह बार साल 2017 की है. सूबे में इस साल चुनाव होने थे. ऐसे में सियासी दलों के नेताओं के बीच वार-पलटवार का दौर जारी था. इस बीच दयाशंकर सिंह ने पूर्व मुख्यमंत्री मायावती को लेकर एक टिप्पणी कर दी थी. उसके बाद विवाद हुआ और बसपा ने जोरदार हंगामा किया. तभी बसपा नेताओं द्वारा दयाशंकर सिंह के परिवार को बीच में घसीटा जाने लगा. तब स्वाति सिंह मुखर होकर सामने आईं और उन्होंने कई कड़े शब्द बसपा के लिए कहे. इसके बाद उनकी सक्रिय तौर पर राजनीती में एंट्री हो गई. भाजपा ने उन्हें सीधे यूपी महिला मोर्चा की अध्यक्ष बना दिया. इसके बाद स्वाति सिंह ने चुनाव लड़ा और वह विधायक बनने के साथ-साथ उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री भी बनीं.
ऐसा कहा जाता है कि 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान स्वाति सिंह को उम्मीद थी कि पार्टी उन्हें फिर से टिकट देगी. मगर इस बार भाजपा ने उनकी जगह दयाशंकर सिंह को टिकट दिया. फिलहाल दयाशंकर सिंह यूपी सरकार में परिवहन मंत्री हैं. स्वाति सिंह को टिकट नहीं मिलना और उनकी जगह दयाशंकर सिंह को टिकट दिए जाने और उन्हें मंत्री बनाए जाने के बाद एकदम यह साफ हो गया था कि अब दोनों के बीच दूरियां और बढ़ गई हैं.
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