उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में स्थित शहीद अशफाक उल्ला खान प्राणि उद्यान में अन्य वन्य जीवों की तरह एक शेर और शेरनी का जोड़ा भी रहता है. नर शेर के रूप में ‘पटौदी’ रहता है तो वहीं मादा शेर (शेरनी) के तौर पर ‘मरियम’ रहती है. इन दोनों को उद्यान में देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं.
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हाल ही में ‘मरियम’ ने खाना-पीना कम कर दिया है. ‘मरियम’ के इस उदासीन रवैये से चिड़ियाघर प्रशासन बेहद ही चिंतित है. प्रशासन के अनुसार, ‘मरियम’ की बढ़ती हुई उम्र इस रवैया का मुख्य कारण है. जिसकी वजह से वह औसतन आहार से कम भोजन ले रही है.
चिड़ियाघर में पशु विशेषज्ञ रोग विशेषज्ञ डॉ. योगेश ने बताया कि एक शेर का औसतन उम्र 17-18 सालों का होता है. वहीं, ‘मरियम’ की उम्र इस वक्त 20 साल के आसपास की हो गई है, जोकि अमूमन शेर की औसतन उम्र से दो से तीन साल ज्यादा है और वह बूढ़ी हो चुकी है. इसवजह से उसने खाना-पीना कम कर दिया है. चिड़ियाघर प्रशासन ने शासन को पत्र भी लिखा और स्पष्ट किया है कि उसकी स्थिति लगातार बिगड़ रही है.
नर शेर ‘पटौदी’ भी हो चुका है घायल
इससे पहले चिड़ियाघर का एकमात्र नर बब्बर शेर पटौदी भी घायल हो चुका है. जिसको लेकर गोरखपुर से लखनऊ तक के डॉक्टरों को तलब किया गया था. जिसके बाद उसकी स्थिति में सुधार हुआ है और वह स्वस्थ है. नर शेर पटौदी की उम्र अभी 10 साल है, जो कि बहुत कम है. वह मस्त मौला होकर चिड़ियाघर में घूम रहा है लेकिन मादा शेरनी ‘मरियम’ उम्र के इस पड़ाव में जीवन जीने की आशा को खोती हुई दिख रही है.
एक साल से बीमार चल रही ‘मरियम’
गौरतलब है कि ‘मरियम’ गोरखपुर के चिड़ियाघर में 28 फरवरी 2021 को लाई गई थी और वह पिछले 1 साल से बीमार चल रही है. उसके जबड़े और दांत कमजोर हो चुके हैं. चिड़ियाघर के प्रशासन ने बताया कि उसे पहले पड़वे का मीट दिया जाता था लेकिन अब उसे बकरे का मीट दिया जा रहा है.
पशु विशेषज्ञ डॉ. योगेश प्रताप सिंह ने बताया कि ‘मरियम’ ने अपना आहार बहुत कम कर दिया है. उसे सूप भी दिया जा रहा है. उसकी सेहत में निरंतर गिरावट दर्ज की जा रही है. उच्चाधिकारियों को इसको लेकर तलब करा दिया गया है.
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