उत्तर प्रदेश के निकाय चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) इस बार सबसे अधिक मुसलमान प्रत्याशियों को उम्मीदवार बनाएगी. खास तौर पर बीजेपी इस बार पसमांदा मुसलमानों को साधने की कोशिश करेगी. बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा की ओर से पसमांदा मुस्लिम बुद्धिजीवी सम्मेलन का आयोजन किया था.उसके बाद सूफी-संतों के साथ संवाद और हाल में पीएम मोदी के मन की बात की 12 संस्करणों का उर्दू किताब के तौर पर अनुवाद बांटने की तैयारी चल रही है. इन सभी तरीकों को बीजेपी की मुस्लिम तबके से जुड़ने की बड़ी कवायद के तौर पर देखा जा रहा है.
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मुस्लिम बाहुल्य इलाकों के लगभग 800 वार्ड, नगर पालिका और नगर पंचायत सदस्य की सीटों में भी मुस्लिम प्रत्याशी उतारे जाने की रणनीति बनाई जा चुकी है. प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी और संगठन मंत्री धर्मपाल सिंह ने पिछले दिनों वर्चुअल बैठक के जरिए निकाय चुनाव की तैयारियों की समीक्षा की.
वहीं, मुस्लिम समुदाय में भी टिकटों को लेकर के सहमति जताई गई है. जिसको लेकर के पहले से आवेदनों में अब तक टिकट फाइनल करने का काम तेजी से चल रहा है.
बीजेपी नेता मोहन चौधरी पहले इस बात को कह चुके हैं कि इस बार निकाय चुनाव में बीजेपी मुस्लिम प्रत्याशियों को मैदान में उतारा जाएगा. इसमें पार्टी मुस्लिम तबकों को राजनीतिक भागीदारी के मद्देनजर इलाकों में टिकट देगी या उनके संख्या अधिक और जिताऊ है और जहां पिछड़े मुसलमानों को अभी तक राजनीतिक हिस्सेदारी नहीं दी गई. बीजेपी ने निकाय और सहकारिता चुनाव के लिए ब्लूप्रिंट तैयार कर लिया है और अब जल्दी निकाय चुनाव की घोषणा होते ही प्रत्याशियों की फेहरिस्त में मुस्लिम कैंडिडेट भी दिखाई देंगे.
‘बड़ी संख्या में मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में होंगे’
इस मामले पर यूपीतक से बातचीत में यूपी अल्पसंख्यक कल्याण राज्यमंत्री दानिश आजाद अंसारी ने कहा कि ‘बीजेपी चुनावी वोट बैंक नहीं बल्कि समाज के हर वर्ग के लिए काम करती है. मुसलमानों को बढ़ाने का काम योगी और मोदी सरकार में ही हुआ. ये मुसलमानों का विश्वास है कि आजमगढ़, रामपुर उपचुनाव में हम जीते और इसी विश्वास के चलते निकाय चुनाव में बड़ी संख्या में पसमांदा समेत मुसलमानों को टिकट दिए जाएंगे.’ अंसारी ने कहा कि ‘बड़ी संख्या में टिकट दिए जाएंगे. आवेदन आ रहे हैं. प्रदेश अध्यक्ष ने नामों को तय करना शुरू कर दिया है. जल्द आने वाली प्रत्याशियों की सूची में असर दिखाई देगा और बड़ी संख्या में मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में होंगे.’
उन्होंने कहा कि ‘पार्टी में पार्षद नगर, पालिका नगर पंचायत स्तर तक मुसलमानों को हिस्सेदारी देने के लिए फैसला हुआ है, जहां केवल समाजवादी पार्टी ने उनका इस्तेमाल तुष्टीकरण करते हुए. उन्हें केवल वोट पाने के लिए किया था और मुसलमानों की राजनीतिक हिस्सेदारी को सपा ने केवल एक चेहरे के आस पास रखा और जमीन पर कोई कार्यकर्ता नहीं बढ़ने दिया. सपा ने मुसलमान को टोपी पहनाने का काम किया है. बीजेपी इमानदारी से इन्हें आगे बढ़ा रही.’
सपा ने साधा निशाना
दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी ने बीजेपी की रणनीति पर सवाल किए हैं. सपा प्रवक्ता अमीक जमई ने कहा कि ‘बीजेपी पसमांदा को टिकट देने को लेकर झूठ बोल रही है, जो बैकवर्ड सीट हैं उन्हीं पर ये टिकट देगी. अगर इतना ही है तो सामान्य सीट पर मुसलमान को सीट देकर दिखाएं. पंचायतों में आरक्षण देने का काम मुलायम सिंह यादव ने किया. बीजेपी केवल पसमांदा के नाम पर राजनीति कर रही है. बीजेपी ने एएमयू के वीसी को एमएलसी बनाया लेकिन यह भूल गए कि एएमयू, बीएचयू, जेएनयू के वीसी गवर्नर से लेकर के उप राष्ट्रपति बना करते थे. ये बीजेपी अगले वीसी को बीडीसी या प्रधानी का भी टिकट दे देंगे.’
‘मुसलमानों के खिलाफ जहर उगलने वाले पर लगे पाबंदी’
वहीं बीजेपी के मुसलमानों को निकाय चुनाव में टिकट देने पर दारूम उलूम प्रवक्ता मौलाना सुफियान निजामी ने कहा कि ‘किसी भी पार्टी को मुसलमानों के नजदीक आने की छूट है लेकिन उनकी कथनी और करनी में फर्क नहीं होना चाहिए. अगर किसी पार्टी के नेता अपने विचार को मुसलमानों पर ले जाना चाहते हैं तो करें लेकिन उन्हीं की पार्टी के ऐसे लोगों पर भी पाबंदी लगनी चाहिए जो मुसलमानों के खिलाफ जहर उगलते हैं. इस पर पार्टी अपनी नियत साफ करे.’
बीजेपी की रणनीति पर राजनीतिक विशेषज्ञ रतनमणि लाल ने कहा कि ‘बीजेपी ने अपने शासन में मुसलमानों को बिना डर के रहने की बात कही थी और अपनी योजनाओं का फायदा पहुंचाने का दावा किया है. अब राजनीतिक हिस्सेदारी देने के लिए यह कदम है, जिसका फायदा पार्टी को मिलेगा.’
उन्होंने आगे बताया कि ‘अगर जीते तो सही लेकिन हार भी गए तो भी मुसलमानों को जोड़ने की कवायद का असर दिखाई देगा. पसमांदा वर्ग को चुनना केवल मुस्लिम तबके से जुड़ने की शुरुआत है. बीजेपी पूरे मुस्लिम समाज में स्वीकार्यता चाहती है, इसीलिए ओबीसी मुसलमान और पिछड़ों को मौका देकर आगे आने वाले चुनावों में मुसलमानों के साथ भी जुड़ने की कोशिश करेगी, जो उसकी एक लॉन्ग टर्म स्ट्रेटेजी है.’
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