जून 2021 में उत्तर प्रदेश पुलिस की कमान संभालने वाले डीजीपी मुकुल गोयल अपने कार्यकाल के 11 महीने में ही हटा दिए गए. मुकुल गोयल को अब सिविल डिफेंस का डीजी बनाया गया है. सरकार के अनुसार, पुलिस महानिदेशक मुकुल गोयल को शासकीय कार्यों की अवहेलना करने, विभागीय कार्य में रुचि न लेने और अकर्मण्यता के चलते डीजीपी पद से मुक्त किया गया है. सवाल अब यही है कि आखिर क्यों डीजीपी पद से हटाए गए मुकुल गोयल, किस वजह से चल रही थी नाराजगी?
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DGP बनते ही विवादों से जुड़ थे गोयल
जून 2021 के आखिरी सप्ताह में पदभार ग्रहण करने वाले मुकुल गोयल के डीजीपी बनते ही विवाद शुरू हो गया. पश्चिम उत्तर प्रदेश के अखबारों में एक ज्वेलरी शोरूम के मालिक ने बड़े-बड़े इश्तेहार देकर मुकुल गोयल को डीजीपी बनने की बधाई दे डाली. मेरठ, मुजफ्फरनगर, बरेली मे तैनात रहे मुकुल गोयल के शुभचिंतक के इस इश्तेहार ने विवाद की शुरुआत की.
मुकुल गोयल का बतौर डीजीपी रहते दूसरा विवाद लखनऊ पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर से हुआ. 5 सितंबर 2021 को बतौर डीजीपी मुकुल गोयल पूरे लाव लश्कर के साथ हजरतगंज थाने पहुंच गए. थाने का निरीक्षण किया और निरीक्षण के दौरान ही उन्होंने इंस्पेक्टर हजरतगंज श्याम बाबू शुक्ला को हटाने का आदेश दे दिया.
अचानक मीडिया के सामने डीजीपी के इस आदेश पर पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर भी हैरान थे क्योंकि इंस्पेक्टर हजरतगंज श्याम बाबू शुक्ला कई दिनों से डेंगू से ग्रसित थे और गंभीर हालत में अस्पताल में इलाज करवा रहे थे. मुकुल गोयल को इंस्पेक्टर के बीमार होने की पूरी बात बताई गई. मामला मुख्यमंत्री के सामने तक गया और तब मुख्यमंत्री को साफ निर्देश देना पड़ा कि मुख्यमंत्री कार्यालय या किसी भी बड़े अफसर को किसी भी मातहत को हटाने या पोस्ट करने का आदेश नहीं देना है.
3 अक्टूबर, 2021 को लखीमपुर के तिकुनिया में हुई हिंसा के बाद कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने लगी. प्रदेश के तमाम अन्य जिलों में प्रदर्शन शुरू हो गए, लेकिन मुकुल गोयल ना तो लखीमपुर गए और न ही किसी अन्य जिले में पुलिसिंग करते नजर आए.
चर्चा है कि उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के दौरान भी मुकुल गोयल का रुख ठीक नहीं रहा. आरोप है कि मुकुल गोयल पहले से ही समाजवादी पार्टी के खेमे के अफसर माने जाते रहे हैं. एसपी चीफ अखिलेश यादव की सरकार में लंबे समय तक मुकुल गोयल एडीजी लॉ एंड ऑर्डर के पद पर भी रहे. चुनाव बीते तो सरकार ने बुल्डोजर से कार्रवाई के अभियान को तेज किया. माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई को भी गति दी. आरोप है कि माफिया और अपराधियों पर सरकार के छेड़े अभियान में भी मुकुल गोयल सक्रिय नहीं दिखे.
लखनऊ कमिश्नरेट के पुलिसिंग में हस्तक्षेप से खड़े हुए विवाद के बाद दूसरा विवाद भी कमिश्नरेट की पुलिसिंग से ही जुड़ा. जिले के पुलिस कमिश्नर और जॉइंट कमिश्नर के बीच हो रहे विवाद में डीजीपी के तौर पर पुलिस कमिश्नर से मुकुल गोयल ने जवाब तलब कर लिया और यह मामला भी शासन में खूब तूल पकड़ा.
चर्चा है कि मुकुल गोयल खुद को दिल्ली दरबार का अधिकारी बताकर ताकतवर समझ रहे थे, जिसकी वजह से कई बार सरकार की मंशा के विपरीत काम कर रहे थे. राज्य सरकार ने भी आईपीएस अफसरों के ट्रांसफर पोस्टिंग में मुकुल गोयल के दखल को खत्म कर दिया था.
सूत्रों के अनुसार, सरकार की नाराजगी की भनक मुकुल गोयल को भी लग गई थी, उन्होंने अपने करीबी अफसरों को दिल्ली लौट जाने का इशारा भी किया था. सोमवार और मंगलवार को भी मुकुल गोयल छुट्टी लेकर दिल्ली गए थे. बुधवार सुबह मुख्यमंत्री की बैठक में डीजीपी के तौर पर मुकुल गोयल शामिल भी हुए थे, लेकिन अचानक देर शाम उन्हें हटाने का आदेश दे दिया गया.
यूपी डीजीपी मुकुल गोयल को पद से हटाया गया, अब डीजी नागरिक सुरक्षा की मिली जिम्मेदारी
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