उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए ‘‘एक बार फिर तीन सौ पार’’ का नारा दे रही सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सामने चुनाव के पहले फेज में अपना पिछला प्रदर्शन दोहराने की बड़ी चुनौती होगी.
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10 फरवरी को पहले चरण के तहत 58 सीटों पर मतदान होना है. 2017 के चुनाव में बीजेपी ने इनमें से 53 सीटों पर जीत हासिल की थी.
सात चरणों में होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के पहले चरण में शामली, मेरठ, मुजफ्फरनगर, बागपत, हापुड़, गौतमबुद्धनगर, गाजियाबाद, बुलंदशहर, मथुरा, आगरा और अलीगढ़ जिले की 58 विधानसभा सीटों पर मतदान होगा. 14 जनवरी, शुक्रवार को पहले चरण की अधिसूचना जारी होगी जिसके बाद उम्मीदवारों का नामांकन शुरू हो जाएगा.
सत्तारूढ़ पार्टी के सामने इस अंचल में अपना पिछला प्रदर्शन दोहराने की बड़ी चुनौती है. इन 58 सीटों पर पिछली बार समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी को दो-दो सीट और राष्ट्रीय लोक दल को एक सीट पर जीत मिली थी.
पूरे उत्तर प्रदेश की बात करें तो पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 403 सीटों में से सहयोगियों समेत 325 सीटों पर जीत मिली थी, जबकि एसपी को 47, बीएसपी को 19 और कांग्रेस को सात सीटें मिली थी.
इस बार पहले चरण में जहां चुनाव होना है, उनमें से अधिकांश इलाके तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलित रहे किसानों के प्रभाव वाले इलाके माने जाते हैं. यहां चुनाव में किसानों के अलावा कैराना से एक समुदाय का कथित पलायन, गन्ना और भगवान कृष्ण के मुद्दे पर जोर आजमाइश के आसार नजर आ रहे हैं.
एसपी, कांग्रेस और बीएसपी समेत सभी विपक्षी दलों ने यहां किसानों के मुद्दों को प्राथमिकता दी है. सत्तारूढ़ बीजेपी का दावा है कि योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व की सरकार ने गन्ना बहुल इलाके के किसानों के बकाया भुगतान के साथ ही कैराना से पलायन समाप्त करने और नोएडा में प्रस्तावित अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा समेत क्षेत्र के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण काम किए हैं.
इलाके में हुए हाल के आंदोलनों पर नजर डालें तो मुजफ्फरनगर में पिछले साल सितंबर के पहले हफ्ते में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों की एक बड़ी महापंचायत हुई और इसमें भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने किसानों के उत्पीड़न के अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर दंगा कराने का आरोप लगाया था.
गौरतलब है कि 2013 में मुजफ्फरनगर में हुए साम्प्रदायिक दंगों के बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश के इस गढ़ में एसपी के लिए चुनौतियां खड़ी हो गई थीं और 2014 के लोकसभा चुनाव, 2017 के विधानसभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को इसका फायदा मिला. मुख्यमंत्री से लेकर बीजेपी के शीर्ष नेता दावा करते हैं कि 2017 में बीजेपी की सरकार बनने के बाद उत्तर प्रदेश में एक भी दंगा नहीं हुआ.
इस बीच, वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक टिप्पणीकार राजीव रंजन सिंह ने ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में कहा, ‘‘इस बार का चुनाव जुबानी जंग में बहुत रोचक होगा, क्योंकि कोविड महामारी की वजह से रैलियों, जनसभाओं की अनुमति नहीं मिलेगी तो सोशल मीडिया पर लोग इस तरह के नारों और बयान का उपयोग करेंगे, जिससे हलचल पैदा हो.’’
आगामी चुनाव को लेकर एसपी के मुख्य प्रवक्ता और पूर्व मंत्री राजेंद्र चौधरी ने कहा, ”बीजेपी सरकार ने किसानों की बात सुने बिना काले कृषि कानून थोप दिए और एक साल बाद उन्हें वापस लिया. लेकिन सात सौ से अधिक किसानों की जान चली गई. इसका हिसाब किसान बीजेपी सरकार से लेंगे. इस बार एसपी को ऐतिहासिक समर्थन और सीटें मिलेंगी.”
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में विकास की ‘उपलब्धियां’ गिनाने के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अक्सर अपनी सभाओं में यह भी दावा करते हैं कि उन्होंने कैराना को माफिया से मुक्त कराया और पलायन करने वाले परिवार वापस अपने घरों में लौटे हैं. मुख्यमंत्री गन्ना किसानों के भुगतान को भी सरकार की ‘उपलब्धियों’ में गिनाते हैं.
बीजेपी ने एसपी की सरकार में इसी अंचल के शामली जिले के कैराना से पलायन के मुद्दे को हवा दी थी और बीजेपी के दिवंगत सांसद हुकुम सिंह ने इसे लोकसभा में भी उठाया था.
पश्चिम के इसी अंचल में भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि मथुरा है. उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने पिछले साल दिसंबर के शुरू में ट्वीट किया था, ”अयोध्या काशी भव्य मंदिर निर्माण जारी है, मथुरा की तैयारी है.” इसके बाद एसपी समेत विपक्षी राजनीतिक दलों ने हिंदुत्व के एजेंडे पर बीजेपी पर ध्रुवीकरण का आरोप लगाया था.
बाद में अखिलेश यादव ने इसे एक नया मोड़ देने की कोशिश की और एक सवाल के जवाब में कहा कि भगवान श्रीकृष्ण हर रोज उनके सपने में आते हैं और कहते हैं कि 2022 में समाजवादी पार्टी की सरकार बनेगी. यादव के इस बयान के बाद बीजेपी नेताओं ने उन पर जमकर पलटवार किया.
बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता हरिश्चन्द्र श्रीवास्तव ने ‘पीटीआई- भाषा’ से बातचीत में कहा, ” पश्चिमी उत्तर प्रदेश गन्ना किसानों की बड़ी बेल्ट है, जिनके लिए योगी सरकार ने एक लाख 55 हजार करोड़ रुपये का भुगतान किया है, वह ऐतिहासिक है. कभी कैराना में माफिया का राज था और वहां के लोग आतंक के साये में पलायन कर रहे थे. आज कैराना माफिया से मुक्त है, पलायन कर रहे लोग लौट आए हैं. ये कई बड़े कारण हैं जो बीजेपी की बड़ी जीत की वजह बनेंगे.”
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के साथ खुद को संबद्व करने वाली पार्टी राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) का भी अच्छा प्रभाव है. आरएलडी का पिछली बार किसी से समझौता नहीं था. इस बार एसपी ने आरएलडी के अलावा पश्चिमी यूपी में सक्रिय केशव देव मौर्य की अगुवाई वाले महान दल से भी गठबंधन किया है.
(भाषा के इनपुट्स के साथ)
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