उत्तर विधानसभा चुनाव 2022 की सरगर्मियों के बीच लखनऊ की सीटें चर्चा का विषय बनी हुई हैं. वजह ये है कि चौथे चरण में मतदान की इन सीटों पर सत्तारूढ़ बीजेपी की ओर से नामों की घोषणा अब तक नहीं की गई है. दिलचस्प बात ये है कि इन सीटों में अलग अलग समीकरण और पार्टी का फैसला ‘होल्ड’ करना कयास और अटकलों के बाजार को गर्म किए हुए है. अगले कुछ घंटों में इन सीटों पर पार्टी घोषणा करेगी. वजह ये है कि लखनऊ में चौथे चरण में मतदान होना है और चौथे चरण के लिए नामांकन की अंतिम तिथि 3 फरवरी है.
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कभी शहरी वोटरों की पार्टी कही जाने वाली बीजेपी का लखनऊ शहर की सीटों पर दबदबा इसी से समझा जा सकता है कि लखनऊ की 9 विधानसभा सीटों में से 8 पर पार्टी के विधायक हैं. अटल बिहारी वाजपेयी यहीं से सांसद रहे और प्रधानमंत्री के रूप में देश का नेतृत्व किया.
हमेशा यहां की सीटों के कई दावेदार रहे हैं, पर इस बार दावेदारों के फेर में सीटें ऐसी फंसी है कि टिकट की घोषणा करना पार्टी के लिए मुश्किल हो गया है. कोई इसके पीछे ये फॉर्मूला बता रहा है कि यहां के विधायक और मंत्रियों को अपनी सीट की जगह शहर की दूसरी सीट से लड़ाया जा सकता है तो कोई ये वजह बता रहा है कि कुछ सीटों पर दावेदारों के टिकट न मिलने पर बागी हो जाने का खतरा है.
राजधानी लखनऊ में ही ऐसा होने पर पार्टी की खासी किरकिरी हो सकती है. ये भी बताया जा रहा है कि लखनऊ के सांसद और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को इसकी जिम्मेदारी दी गई है कि बागियों को समझा बुझाकर उन्हें रोका जाए और ऐसी किसी अप्रिय स्थिति से बचा जाए.
वैसे बीजेपी के लिए अंतिम समय पर प्रत्याशी घोषित करना कोई नई बात नहीं है. पर जिस तरह से हर सीट पर एक के बाद एक दावेदारों के नाम आ रहे हैं उनसे और ज्यादा उत्सुकता बढ़ रही है.
पिछले दिनों चुनाव समिति की बैठक के बाद बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और अन्य लोग राजनाथ सिंह के साथ बैठक कर अलग से मिलकर लखनऊ की सीटों पर मंथन कर चुके हैं. इससे लखनऊ के सीटों को लेकर टिकटों की घोषणा में राजनाथ सिंह की भूमिका और महत्वपूर्ण हो गई है. कुछ सीटें ऐसी हैं जिसमें दावेदारों की वजह से कयास लगाए जा रहे कि आखिर पार्टी किसको यहां से चुनाव लड़वाएगी.
विधानसभा चुनाव से पहले कई दावेदारों के फेर में फंसी लखनऊ कैंट सीट इस समय सबसे ज्यादा चर्चा में है. प्रयागराज से सांसद रीता बहुगुणा जोशी के पार्टी शीर्ष नेतृत्व को चिट्ठी लिखने की चर्चा के बाद से ही इस बात की चर्चा तेज हो गई है कि क्या उनके बेटे मयंक जोशी को टिकट मिलेगा? बीजेपी सांसद रीता बहुगुणा जोशी ने अब खुलकर इस बात को कह दिया है कि वो अपनी पुरानी सीट लखनऊ कैंट से अपने बेटे मयंक जोशी के लिए टिकट मांग रही हैं.
उन्होंने यहां तक कहा है कि अगर पार्टी एक परिवार से एक को ही टिकट देना चाहती है तो वो इस्तीफा देने के लिए तैयार हैं. हालांकि, मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव के बीजेपी में शामिल होने के बाद से ये भी कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या पार्टी इस सीट से अपर्णा को चुनाव लड़ाएगी? इस सीट पर मौजूदा विधायक सुरेश तिवारी हैं जो अपनी दावेदारी कर रहे हैं. इस बीच बीजेपी के महानगर अध्यक्ष मुकेश शर्मा के नाम को लेकर भी चर्चा है.
लखनऊ में मौजूदा समय में तीन मंत्री हैं जो यहां की विधानसभा सीटों पर विधायक हैं. इसमें लखनऊ मध्य से बृजेश पाठक, पूर्व से आशुतोष टंडन और सरोजिनी नगर से स्वाति सिंह हैं. इनमें से दो मंत्रियों की सीट में भी बदलाव की चर्चा है.
कहा तो ये भी जा रहा है कि अगर एक मंत्री की सीट बदलकर दूसरी सीट पर लाया जाए तो बीजेपी की कई और सीटों में भी बदलाव होगा. दोनों कद्दावर मंत्रियों के अपने समर्थक हैं और ऐसे में चर्चा चल रही है कि किसको कौन सी सीट पर चुनाव लड़ाया जा सकता है.
लखनऊ से एक और मंत्री खुद काफी समय से अपनी दावेदारी को लेकर चर्चा में हैं. स्वाति सिंह की मौजूदा विधानसभा सरोजिनी नगर है, पर इसी सीट से उनके पति और यूपी बीजेपी में उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह भी दावेदारी ठोक रहे हैं. दयाशंकर सिंह ने पिछले दिनों ये कहा भी था कि पिछली बार उनका टिकट कटकर स्वाति सिंह को मिला था तो इस बार वो भी दावेदारी कर रहे हैं.
हालांकि, इस बात को लेकर पहले ये चर्चा हो रही थी कि किसका पलड़ा भारी है पर अब लोग इसमें तीसरे दावेदार की भी एंट्री बता रहे हैं. यानी अब सवाल ये है कि टिकट घर में ही रहेगा या बाहर किसी को दिया जाएगा.
इधर मोहनलालगंज सीट से सांसद कौशल किशोर का परिवार भी टिकट की दावेदारी में है. पिछली बार कौशल किशोर की पत्नी जय देवी को टिकट देकर बीजेपी ने विधायक बनने का मौका दिया था. इस बार कहा ये जा रहा है कि कौशल किशोर अपनी पत्नी की सीट मलीहाबाद से अपने बेटे के लिए टिकट मांग रहे हैं. जगह-जगह उनके बेटे के नाम के पोस्टर लग चुके हैं.
हालांकि, बीजेपी परिवारवाद को खारिज करने की बात कहती है. लेकिन कई बार इस तरह के मामलों में पार्टी को टिकट देते भी देखा गया है. फिलहाल इस सीट पर भी पार्टी को तय करना है कि पार्टी इस नियम को शिथिल करेगी या नहीं.
पश्चिम सीट पर पार्टी के विधायक सुरेश श्रीवास्तव का कोरोना की वजह से निधन हो गया था. इस सीट से एक नए प्रत्याशी का नाम चर्चा में है. हालांकि, दावेदारी बीजेपी के कई अन्य कार्यकर्ताओं की भी हैं. इसी तरह अन्य सीटों पर भी बीजेपी के टिकट की घोषणा सारे समीकरणों को तौल कर होगी. फिलहाल चंद घंटों में ही ये इंतजार खत्म होने वाला है लेकिन लखनऊ की सीटों पर टिकट की घोषणा के बाद भी बागियों को मनाना पड़ सकता है.
यूपी बीजेपी उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह बोले- ‘पार्टी या तो मुझे टिकट दे या स्वाति सिंह को’
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