भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की एक और लिस्ट जारी कर दी. इस लिस्ट में पार्टी ने 85 सीटों पर उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की है, जिनमें से ही एक नाम है रिया शाक्य का.
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राजनीति में बिना किसी अनुभव के रिया शाक्य पहले चुनाव में कदम रखेंगी. रिया अब तक घोषित प्रत्याशियों में सबसे कम उम्र की प्रत्याशी हैं. रिया को बीजेपी ने औरैया की बिधूना सीट से टिकट दिया है.
बता दें कि हाल ही में रिया शाक्य तब चर्चा में रही थीं, जब बिधूना सीट से बीजेपी विधायक विनय शाक्य (रिया शाक्य के पिता) के समाजवादी पार्टी में शामिल होने से जुड़ी रिपोर्ट्स पर रिया ने एक वीडियो जारी किया था.
उस वीडियो में उन्होंने कहा था, ”मेरे पिताजी न तो स्पष्ट तरीके से बातचीत कर सकते हैं और ऑपरेशन होने के बाद उनके सोचने समझने की शक्ति कम हो गई है. हम लोग क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी के लिए काम कर रहे हैं क्योंकि चुनाव नजदीक हैं. हम लोग क्षेत्र में लगातार लोगों से संपर्क बढ़ा रहे हैं. इसी बीच हमारे चाचा देवेश शाक्य और हमारी दादी मेरे पिताजी को लखनऊ लेकर चले गए हैं.”
इसके बाद औरैया पुलिस ने कहा था कि विनय शाक्य अपने इटावा के घर में ही मौजूद हैं और ऐसा आरोप निराधार है. उसके बाद विनय शाक्य ने समाजवादी पार्टी जॉइन कर ली.
25 साल की हैं रिया शाक्य
रिया शाक्य 25 साल की हैं. देहरादून के बोर्डिंग स्कूल में उन्होंने पढ़ाई की है. इसके अलावा पुणे की सिम्बायोसिस यूनिवर्सिटी से उन्होंने बैचलर और डिजाइन की पढ़ाई की है. इस कोर्स में उन्होंने ‘user experience design’ में स्पेशलाइजेशन किया है.
रिया शाक्य ने फोन पर यूपी तक को बताया कि उन्होंने जो कोर्स किया है उसमें मनोविज्ञान की भी पढ़ाई कराई जाती है, इसलिए इसका लाभ क्षेत्र में जनता के लिए काम करने में उनको मिलेगा. रिया का कहना है, ”बिधूना की जनता की सेवा करने में अपनी पढ़ाई से मिले सबक को लगाऊंगी.”
रिया ने बताया, ”स्कूल कॉलेज में मैंने extracurricular activities में भाग लिया है. हमेशा मैं प्रतियोगिता में खुद शामिल होती रही हूं.” अपने इसी तेवर और जुझारूपन को वह अब क्षेत्र की जनता के लिए लगाना चाहती हैं.
‘पिता विनय शाक्य चाहते थे कि राजनीति में आऊं’
रिया को अपने पिता की जगह टिकट मिला है, पर रिया कहती हैं कि टिकट मिलने के बाद उनकी पिता से कोई बात नहीं हुई. रिया का कहना है, ”पिताजी चाहते थे कि मैं राजनीति में आऊं.” रिया की एक बड़ी बहन और एक छोटा भाई है.
रिया कहती हैं कि राष्ट्र के लिए काम करना सबसे बड़ी बात है, ‘इसीलिए ये मौका मेरे लिए खास है.’ रिया का कहना है कि विनय शाक्य को 2018 में ब्रेन स्ट्रोक हुआ था, ”उसके बाद से उनकी तबीयत ठीक नहीं रहती. अगर वह सोच समझ पाते तो बीजेपी छोड़ने का फैसला नहीं लेते.”
रिया कहती हैं कि बिधूना की महिलाओं की शिक्षा और सुरक्षा के लिए खास तौर पर काम करना चाहेंगी. हालांकि चाचा से विरोध और पिता की जगह चुनाव लड़ने पर क्षेत्र में एक मुश्किल स्थिति का सामना उनको करना पड़ सकता है. रिया कहती हैं, ‘मुझे सबको साथ लेकर चलना है.’
पिता-पुत्री हो सकते हैं आमने-सामने
विनय शाक्य को अगर समाजवादी पार्टी टिकट देती है तो चुनाव में पिता पुत्री आमने सामने हो सकते हैं. वहीं रिया के चाचा देवेश शाक्य को अगर टिकट मिलता है तो विनय शाक्य की राजनीतिक विरासत पर चाचा-भतीजी का मुकाबला होगा.
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