मान्यता: बदायूं में सच्ची श्रद्धा वालों के सामने ही रंग बदलता है इस अनोखे शिव मंदिर का शिवलिंग
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से 311 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बदायूं जिला रुहेलखंड का हृदय है. बरेली मंडल के अंतर्गत आने वाला बदायूं…
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उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से 311 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बदायूं जिला रुहेलखंड का हृदय है. बरेली मंडल के अंतर्गत आने वाला बदायूं जिला गंगा नदी के किनारे बसा है. गंगा नदी किनारे बसे बदायूं जिले को कई धार्मिक मान्यताओं के लिए जाना जाता है.
इस जिले में भगवान शिव शंकर का एक ऐसा अनोखा मंदिर है, जहां भक्तों की सच्ची प्रार्थना के साथ शिवलिंग अपना रंग बदलता रहता है. इस प्राचीन मंदिर को साल 1876 में नवाब नौबत राय ने बनवाया था.
प्रत्येक सोमवार को इस मंदिर पर भक्तों का तांता लगा रहता है, लेकिन जिसके मन की मुराद पूरी होती है. उनके सामने ही भोले बाबा अपना रंग बदलते हैं, बाकी लोगों के सामने नहीं. यानी मंदिर में आने वाले हर भक्तों के सामने शिवलिंग रंग नहीं बदलता.
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शिवरात्रि के दिन इस मंदिर पर बड़ा मेला लगता है और दूर-दूर से लोग रंग बदलते शिवलिंग से अपनी मुरादें पूरी करने की प्रार्थना के साथ मंदिर आते हैं.
सराय मोहल्ले में स्थित है मंदिर
बदायूं के पटियाली सराय मोहल्ले में स्थित इस मंदिर के बारे में पहले लोगों को ज्यादा जानकारी नहीं थी लेकिन जब से भक्तों ने इसका रंग बदलते देखा है, तब से यहां लोगों की भीड़ बढ़ने लगी है.
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सच्ची श्रद्धा होने की है मान्यता
रंग बदलने की महिमा को साक्षात देखने आने वाले हर व्यक्ति को उसका रंग बदलता नहीं दिखाई देता, बल्कि जो सच्ची श्रद्धा से प्रार्थना करते हैं उसे ही रंग बदलता दिखाई देता है. शिवलिंग के रंग बदलने के क्रम में इंद्रधनुषी रंगों की छटा दिखाई देती है.
बहुत से भक्तों ने इस रंग बदलती शिवलिंग के बारे में यह जानने की कोशिश की कि शायद कोई ऐसे पत्थर से बना हुआ होगा जो रोशनी पड़ते ही चमकता है लेकिन ऐसा नहीं है.
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शिवलिंग चिकने काले पत्थर से बना है और उस पर रोशनी पड़ने पर हर वक्त चमकता नहीं है. इस चमत्कारी शिवलिंग की महिमा को सुनकर भोले बाबा के भक्त अपने मन में इच्छा लेकर यहां आते हैं जिसकी इच्छा और श्रद्धा सच्ची होती है उसके सामने भोले बाबा अपना रंग बदलते हैं.
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