बहराइच: पोषणयुक्त चावल को प्लास्टिक समझ फेंक रहीं महिलाएं, इसलिए बांटा गया था ये, जानें

राम बरन चौधरी

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सरकार कुपोषण और एनीमिया को दूर करने के लिए गरीबों को जो फोर्टीफाइड राइस (पोषण युक्त चावल) बांट रही है उसे गांवों में लोग प्लास्टिक का चावल समझ पकाने से परहेज कर रहे हैं. पीडीएस लाभार्थी मिलावटी चावल की आशंका में फोर्टीफाइड चावल के दानों को अन्य चावल से अलग करके पका रही हैं. जागरूकता के अभाव में गरीबों के लिए संजीवनी बना फोर्टीफाइड राइस कूड़े में जा रहा है.

दरअसल पिछले कुछ दिनों से इस इलाके के करीब दर्जन भर से अधिक जरूरतमंद गरीब परिवारों से जुड़ी महिलाओं ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) द्वारा सरकारी राशन की दुकानों से प्रति माह दिए जा रहे मुफ्त राशन में मिले चावल की गुणवता पर सवाल उठाया है. इन लोगों ने सरकारी राशन की दुकान से मिले चावल को दिखाकर कहा कि सरकारी राशन विक्रेता मिलावटी चावल के जरिए हम गरीबों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है.

महिलाओं ने तो यहां तक कह डाला कि उन्हें सरकारी कोटेदार के यहां से मिल रहे चावल में प्लास्टिक का चावल मिलाकर दिया जा रहा है. इन सबके बीच हैरान करने वाली बात तब सामने आईं जब सलारगंज में सरकारी राशन विक्रेता राम गोपाल ने स्वयं यह कह कर महिलाओं के आरोप पर मुहर लगा दी कि उसके घर में भी चार पांच माह पूर्व उसी के राशन की दुकान से जो चावल गया था उसमें प्लास्टिक के चावल निकले थे.

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कोटेदार राम गोपाल के मुताबिक यह गंभीर मामला है और यह जांच का विषय है. इसके लिए वो जिम्मेदार नहीं हैं. उसके कोटे की दुकान पर गोदाम से आने वाला चावल का बोरा सबके सामने खोलकर वितरित किया जाता है, लेकिन इसकी पड़ताल के लिए जब यूपी तक की टीम जिले के डीएसओ (जिला पूर्ति अधिकारी) अनंत प्रताप सिंह के पास पहुंची तो उन्होंने इसे जागरूकता के अभाव का मामला बताते हुए पूरी कहानी ही पलट दी.

उन्होंने बताया की सरकारी राशन की दुकानों से मिले जिस चावल को लोगों ने मिलावटी चावल बताया है यही मिलावटी चावल तो उनके लिए संजीवनी है. उनके मुताबिक सरकार एनएफएसए स्कीम वाआईसीडीएस स्कीम के जरिए गरीब परिवारों को दिए जा रहे राशन में फोर्टीफाइड राइस (पोषण युक्त चावल) मिलाकर उनके भोजन में जरूरी मिनरल्स वा न्यूट्रीयंस की उपलब्धता सुनिश्चित कर रही है.

इसके लिए इन्हें मिलने वाले सरकारी चावल में मिनरल्स वा न्यूट्रीयंस युक्त कृत्रिम चावल के दानों को मिला कर वितरित किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि यह मिलावटी चावल नहीं है बल्कि फोर्टीफाइड राइस कर्नेल (FRK) चावल है. जो पिसे चावल में अन्य पोषक तत्वों को शामिल कर तैयार किया गया है, लेकिन फिर भी अगर किसी को कोई शिकायत है भी तो वो इसकी जांच कराएंगे.

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गौरतलब है की मोदी सरकार ने गरीबों में आम हो चली कुपोषण वा एनीमिया (खून की कमी) को दूर करने के लिए सरकारी राशन की दुकानों से फोर्टीफाइड राइस (पोषण युक्त चावल) वितरित करने की शुरुआत की है. इसके लिए बीते अप्रैल माह में केंद्रीय कैबिनेट ने मिड डे मील समेत सरकारी राशन की दुकानों पर फोर्टीफाइड राइस बांटने की मंजूरी दी है. जिस पर 4270 करोड़ रुपए खर्च किए जायेंगे.

यह फैसला बच्चो में पोषक तत्वों वा महिलाओं में खून की कमी को दूर करने के लिए किया गया है. खाद्य मंत्रालय की रिपोर्ट में कहा गया है. देश की हर दूसरी महिला में खून की कमी वा तीसरा बच्चा कमजोर है, जिसे दूर करने के लिए सरकारी योजनाओं के माध्यम से फोर्टीफाइड राइस जरूरतमंदों तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है.

जानें क्या है फोर्टिफाइसड राइड?

खाने की वस्तुओं में अलग से पोषक तत्व मिलाकर शामिल किया जाता है तो वो फोर्टीफाइड फूड बन जाता है. फोर्टिफाइड चावल को तैयार करने के लिए कोटिंग, डस्टिंग और एक्सट्रूजन जैसी तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है. चावल पर पोषक तत्वों की एक पर्त चढ़ाई जाती है. इसके अलावा इसे पीसकर इनमें सूक्ष्म तत्वों को मिलाया जाता है फिर इसे मशीन की मदद से चावल का आकार देकर सुखाया जाता है. इसे फोर्टिफाइड राइस कर्नेल (FRK) कहते हैं. इसे तैयार करने के बाद आम चावलों में मिला दिया जाता है. FSSAI के मुताबिक, 1 किलो चावल में 10 ग्राम फोर्टिफाइड चावल मिलाया जाता है.

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