झांसी: अनोखा पशु प्रेम! पालतू कुत्ते की मौत पर निकली शव यात्रा, तेरहवीं भोज का हुआ आयोजन
‘कुत्ते की मौत मरना’ ये कहावत आज फीकी पड़ गई, जब झांसी जिले के पूंछ गांव में एक पालतू कुत्ते की मौत के बाद उसके…
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‘कुत्ते की मौत मरना’ ये कहावत आज फीकी पड़ गई, जब झांसी जिले के पूंछ गांव में एक पालतू कुत्ते की मौत के बाद उसके मालिक ने उसका बड़ी धूमधाम के साथ तेरहवीं कर मृत्यु भोज का आयोजन किया. इस आयोजन में पालतू कुत्ते के मालिक के रिश्तेदार सहित गांव के कई लोग शामिल हुए.
पालतू जानवर विशेष होते हैं और अगर पालतू जानवर कुत्ता हो तो यह अपने मालिक के लिए और अधिक विशेष हो जाते हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि जितना प्यार हम कुत्तों को देते हैं. वे उसका सौ गुना प्यार हमें वापिस देते हैं और अपने जीवन के अंत तक हमारे प्रति वफादार बने रहते हैं. घरों में पाले जाने वाले पालतू जानवर परिवार के सदस्य की तरह होते हैं, यह बात हर वह इंसान मानता है. जिनके घर पर कोई पालतू पशु रहता है. ऐसे ही एक वाक्या झांसी जिले के पूंछ गांव में देखने को मिला.
पूंछ के रहने वाले लाखन सिंह का एक पालतू कुत्ता जिसका नाम कालू था. 9 मई को उसकी बीमारी के चलते मृत्यु हो गई. लाखन सिंह ने हिंदू रीति रिवाज के अनुसार कुत्ते कालू की तेरहवीं कर मृत्यु भोज का आयोजन किया, जिसमें उनके रिश्तेदारों सहित गांव के काफी लोग शामिल हुए.
लाखन सिंह ने बताया की 21 साल पहले उन्होंने एक पुष्पांजलि विवाह घर खोला था और उसी दिन वह एक कुत्ते को अपने घर लेकर आए थे. जिसको उन्होंने बड़े लाड प्यार से पाला, 24 घंटे वह उनके साथ साए की तरह रहता था. 9 मई को बीमारी के चलते उसकी मृत्यु हो गई. जिसपर उन्होंने जैसे एक मनुष्य का अंतिम संस्कार किया जाता है, उसी तरीके से उन्होंने अपने पालतू कुत्ते कालू का भी अंतिम संस्कार किया, बकायदा अर्थी सजाई गई और शव यात्रा भी निकाली गई.
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इस शव यात्रा में उनके आसपास के रहने वाले कई लोग शामिल हुए और पूरे रीति रिवाज के साथ कुत्ते को बेतवा नदी में विसर्जित किया गया. जिसके बाद उन्होंने और उनके दोनों पुत्रों ने हिंदू रीति रिवाज के अनुसार अपने सर के बाल भी मुंडबाए और रिवाज के अनुसार 13 दिन पूरे होने पर कुत्ते की तेरहवीं भी मनाई गई, जिसमें मृत्यु भोज का भी आयोजन हुआ.
लाखन सिंह के रिश्तेदारों सहित गांव के कई लोग शामिल हुए. लाखन सिंह बताते हैं कि उनके इस पालतू कुत्ते कालू के रहते उन्हें विवाह घर में कभी किसी चौकीदार को रखने की आवश्यकता नहीं पड़ी.
ऐसा नहीं है कि अपने पालतू कुत्ते कालू से सिर्फ लाखन सिंह ही प्यार करते थे, बल्कि उनके घर परिवार के सभी सदस्य भी उसको उतना ही प्यार करते थे. जैसे वह अपने बच्चों का जन्मदिन मनाते हैं उसी तरीके से हर साल 6 फरवरी को वे अपने पालतू कुत्ते कालू का जन्मदिन भी मनाते थे और अब वह उसकी मृत्यु होने से बहुत दुखी है.
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