'यूपी सरकार आदेश के खिलाफ अगर जोखिम उठाना चाहे तो...', बहराइच बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट हुआ सख्त

संजय शर्मा

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बहराइच बुलडोजर एक्शन पर सुनवाई (फाइल फोटो)
बहराइच बुलडोजर एक्शन पर सुनवाई (फाइल फोटो)
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Bahraich  Bulldozer Action :  उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में हाल ही में हुए सांप्रदायिक दंगों का मामला अब सुप्रीम कोर्ट में पहुँचा है. बहराइच में बुलडोजर एक्शन मामले में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा आदेश आया है, जिसमें कोर्ट ने कहा कि कल तक बुलडोजर नहीं चलेगा. बुलडोजर कार्रवाई के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को यूपी सरकार को बुधवार तक कार्रवाई रोकने का आदेश दिया है. बहराइच हिंसा के आरोपियों की ओर से दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट से इस मामले की त्वरित सुनवाई की गुहार लगाई गई थी. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से बहराइच के स्थानीय निवासियों ने राहत की सांस ली है. 

कोर्ट ने कही ये बड़ी बात

सुवाई के दौरान, जस्टिस बी आर गवई ने टिप्पणी की कि यदि यूपी सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना का जोखिम उठाना चाहती है, तो यह उनकी मर्जी पर निर्भर है. उन्होंने स्पष्ट किया कि अगर सार्वजनिक स्थल पर अतिक्रमण हो रहा है, तो उनके फैसले में यह उल्लेखित है.  सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को कल तक किसी भी तरह की कार्रवाई ना करने का आदेश दिया है और अब इस मामले की सुनवाई बुधवार को की जाएगी.

बुलडोजर एक्शन के खिलाफ सुनवाई

बहराइच हिंसा के आरोपियों ने अपनी याचिका में दावा किया है कि यूपी. सरकार का बुलडोजर एक्शन संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन करता है, जो जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की गारंटी देता है.  याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि प्रशासनिक अधिकारियों की कार्रवाई बिना पूर्व सूचना और बिना उचित कारण के की जा रही है, जिससे उनके मौलिक अधिकारों का हनन हो रहा है.  सुप्रीम कोर्ट के यह आदेश आने के बाद, अब यूपी सरकार की यह जिम्मेदारी है कि वे बुधवार को होने वाली सुनवाई तक किसी भी प्रकार की बुलडोजर कार्रवाई ना करें. अगली सुनवाई के दौरान कोर्ट द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों पर आगे की कार्रवाई तय की जाएगी. 

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गौरतलब है कि पिछले हफ्ते उत्तर प्रदेश के बहराइच शहर में सांप्रदायिक दंगे हुए थे. जिन इलाकों में हिंसा भड़की थी वहां हाल ही में अधिकारियों ने कुछ लोगों की इमारतों को गिराने के लिए नोटिस जारी किए थे. इन इमारतों के मालिकों का नाम दंगों से जुड़ी एक एफआईआर में आरोपी के तौर पर दर्ज किया गया है. प्रशासन का आरोप है कि इन इमारतों का निर्माण अवैध तरीके से किया गया था और यह सरकारी जमीन पर खड़ी हैं. हालांकि, नोटिस पाने वाले तीन लोगों ने बुलडोजर एक्शन के खिलाफ अदालत में अर्जी दाखिल की है.  उनका कहना है कि प्रशासन द्वारा उन्हें जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा है और उनके इमारत पूरी तरह से वैध है.

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