Maha Navmi 2024: नवरात्रि के नौवें दिन होती है मां दुर्गा के सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा, जानें शुभ मुहूर्त

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Maha Navmi 2024: नवरात्रि के नौवें दिन मां दुर्गा के सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा की जाती है. मां सिद्धिदात्री सभी सिद्धियों को देने वाली मानी जाती हैं और इन्हें भक्तों को सभी प्रकार की मनोकामना प्रदान करने वाली देवी के रूप में पूजा जाता है. पुराणों में उल्लेख है कि भगवान शिव ने भी इन्हीं की कृपा से अर्धनारीश्वर रूप धारण किया था. श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के ज्योतिषाचार्य और महंतॉ रोहित शास्त्री ने बताया कि भगवान शिव ने भी सिद्धिदात्री देवी की कृपा से सिद्धियां हासिल की थीं.  उन्हें आठ सिद्धियां मिली थीं. इनमें अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व शामिल हैं. मां सिद्धिदात्री का हिमाचल के नंदा पर्वत पर प्रसिद्ध तीर्थ स्थल भी है. 

मां सिद्धिदात्री की उपासना से संपूर्ण देवियों की उपासना का फल भी मिलता है. महंत रोहित शास्त्री ने बताया कि मां सिद्धिदात्री का स्वरूप अत्यंत शांत और दिव्य है. वे कमल के आसन पर विराजमान होती हैं और उनके चार हाथ होते हैं जिनमें कमल, गदा, शंख और चक्र धारण करती हैं. देवी सिद्धिदात्री का वाहन सिंह है.

इस दिन विशेष रूप से मां के सिद्धिदात्री रूप की उपासना के साथ कन्या पूजन का भी महत्व है. नौ कन्याओं का पूजन कर उन्हें भोजन कराना और दक्षिणा देना अत्यंत शुभ माना जाता है. इस दिन व्रत करने वाले भक्तों को मां की विशेष कृपा प्राप्त होती है और उनके जीवन के सभी दुख और कष्ट समाप्त हो जाते हैं. मां सिद्धिदात्री की उपासना से जीवन में सफलता और समृद्धि का मार्ग खुलता है.

पूजा की विधि और शुभ मुहूर्त

इस दिन कमल के पुष्प पर बैठी हुई देवी का ध्यान करें और उन्हें विभिन्न प्रकार के फूल अर्पण करें. नवमी तिथि के दिन देवी को शहद अर्पित करना बड़ा अच्छा है. आप चाहें तो सात्विक विभिन्न पकवान भी अर्पित करें. नवमी पर दुर्गा सप्तशती और कवच, कीलक, अर्गला का पाठ करना लाभकारी माना जाता है. नवरात्रि का संपूर्ण फल पाने के लिए नवमी पर हवन भी किया जाता है. 

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या देवी सर्वभू‍तेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:.

इस बार नवमी तिथि 11 अक्टूबर को दोपहर 12 बजे के बाद शुरू होगी. अगर आप नवमी का हवन करते हैं, तो 11 अक्टूबर को दोपहर 12 बजे के बाद कर सकते हैं. हवन कुंड में साफ शुद्ध, खासतौर पर आम की लकड़ी जलाइए. पहले पांच बार घी की आहुति दीजिए. फिर 108 बार हवन सामग्री से आहुति दीजिए. हवन जब समाप्त हो जाए तब भगवती से कृपा की प्रार्थना करें. हवन संपूर्ण परिवार के साथ बैठकर करें, तो इसके परिणाम बड़े शुभ होंगे. 

कन्या भोज कैसे कराएं

नवरात्रि में कुंवारी कन्याओं को पूजने और भोजन कराने की परंपरा है. 2 वर्ष से लेकर 11 वर्ष तक की कन्या की पूजा का विधान है. कन्याओं को घर बुलाएं. ऊंचे आसन पर बैठाकर उनके चरण धोएं, उन्हें चुनरी पहनाएं. उन्हें सात्विक भोजन कराएं. फिर उपहार देकर उनके चरण छूकर उन्हें विदा करें. ऐसा करेंगे तो आप धन-धान्य से भरे रहेंगे.

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